पूरी दुनिया में भारत में सबसे ज्यादा सांप के काटने के मामले पाए जाते हैं. भारत में आज भी सांप के काटने के बाद सही इलाज मिलना बड़ी चुनौती है. इसको लेकर सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. आगे जानें पूरी जानकारी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सांप के काटने के प्रबंधन, रोकथाम और नियंत्रण के लिए हेल्पलाइन और बुकलेट जारी की है.
सरकार का मकसद सांप के काटने के कारण होने वाली अपंगता एवं मौतें 2030 तक घटाकर आधी की जा सके.
राष्ट्रीय सर्पदंश जहर रोकथाम एवं नियंत्रण कार्ययोजना (एनएपीएसई) के तहत परीक्षण के आधार पर पांच राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों-पुडुचेरी, मध्यप्रदेश, असम, आंध्र प्रदेश और दिल्ली में हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किया जाएगा.
हेल्पलाइन नंबर पर सर्पदंश से प्रभावित व्यक्ति या समुदाय को तत्काल सहायता, मार्गदर्शन एवं सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा. इस पहल का लक्ष्य चिकित्सा देखभाल शीघ्र मुहैया कराया तथा आम लोगों के बीच इस बारे में सूचनाओं का प्रसार करना है.
सर्पदंश से होने वाली अधिकतर मौतों एवं अन्य घातक प्रभावों को सुरक्षित एवं प्रभावी जहर विरोध दवा की शीघ्र उपलब्धता, समय से चिकित्सा केंद्र तक पहुंचाने की सुविधा से रोका जा सकता है.
सरकार ने सांप के काटने से बचने के लिए एक बुकलेट जारी की है. इसमें सांप काटने पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं ये विस्तार से बताया है.
इसके अलावा नेशनल रेबीज कंट्रोल वेबसाइट भी लॉन्च की है. सरकार द्वारा जारी बुकलेट के मुताबिक सांप काटने के तुरंत बाद सर्पदंश होने पर व्यक्ति को आश्वस्त करें और शांत रहें. धीरे-धीरे सांप से दूर हो जाएं.
घाव वाले अंग को स्थिर रखें (न हिलाएं), यदि सर्पदंश वाली जगह पर किसी प्रकार का आभूषण, जूते, अंगूठी, घड़ी या तंग कपड़ा है तो निकाल दें. पीड़ित को स्ट्रेचर पर बाई करवट लिटाएं, दाहिना पैर मुड़ा हुआ हो और हाथ से चेहरे को सहारा दें. पीड़ित व्यक्ति को तुरंत नजदीकी अस्पताल लेकर जाएं.
पीड़ित को अत्यधिक दबाव या घबराहट न होने दें. सांप पर हमला करने या उसे मारने की कोशिश ना करें. यदि आप ऐसा करेंगे तो सांप अपनेबचाव में आपको काट सकता है.
सर्पदंश वाले घाव को न काटें और न ही घाव पर सर्प विषरोधी इंजेक्शन या दवाई लगाएं. घाव को बांध कर रक्त संचार रोकने का प्रयास न करें. रोगी को पीठ के बल न लिटाए इससे वायुमार्ग में रुकावट हो सकती हैं. पारंपरिक तरीको से उपचार करनें का प्रयास न करें.
एक स्टडी के मुताबिक भारत में हर वर्क करीब 30-40 लाख सर्पदंश के कारण करीब 50000 लोगों की मौत हो जाती है. बहुत कम लोग ही सर्पदंश की स्थिति में क्लीनिक या अस्पताल जाते हैं। सर्पदंश की बहुत घटनाओं की रिपोर्ट भी नहीं की जाती है.