प्रयागराज को गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम होने के चलते प्राचीन काल में प्रयाग कहा जाता था.
ऐसा माना जाता था कि भगवान ब्रह्मा ने इस स्थान पर सबसे पहला यज्ञ किया था.
लोग इसे त्रिवेणी संगम या केवल संगम भी कहते हैं.
मुगल सम्राट अकबर ने 1575 में यहां का दौरा किया और किले का निर्माण किया.
बाद में इसे इलाहाबास कहा गया. आगे चलकर शाहजहां के शासन में यह इलाहाबाद हो गया.
जेम्स फोर्ब्स के के मुताबिक जहांगीर द्वारा इलाहाबाद नाम किया गया.
यह भी माना जाता है कि यहां का नाम अल्लाह के नाम पर नहीं बल्कि इलाहा (देवताओं) के नाम पर है. एक दावा है कि यह इलाह और अल्लाह दोनों के रूप में माने जाने के लिए है.
वर्षों से, उत्तर प्रदेश की भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों द्वारा इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के कई प्रयास किए गए.
नाम बदलने में आखिरकार अक्टूबर 2018 में सफलता मिली जब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने आधिकारिक तौर पर शहर का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया.