ट्रेन में सुविधाओं को दिन ब दिन बेहतर किया जा रहा है. एक समय था जब ट्रेनें कोयला से चला करती थीं.
इसके बाद डीजल वाली ट्रेनें चलने लगीं. अब ज्यादातर रूट पर इलेक्ट्रिक ट्रेनें चलाई जा रही हैं. इससे ट्रेनों की स्पीड बढ़ी है.
लेकिन क्या आपको मालूम है कि इलेक्ट्रिक इंजन कैसे काम करता है. ट्रेन एक ही तार पर कैसे दौड़ती है.
जबकि घरों में लाइट के लिए दो तार की जरूरत होती है. चलिए आइए जानते हैं.
इलेक्ट्रिक इंजन की बात करें तो इसको लाइट ट्रैक के ऊपर से गुजरने वाले तार से मिलती है.
गौर किया हो तो देखा होगा कि ट्रेन के इंजन के ऊपर एक एंगल जैसी चीज लगी होती है, जिसे पेंटोग्राफ कहा जाता है.
इसी से लाइट इंजन तक पहुंचती है. पहले लाइट ट्रेन के ट्रांसफर में जाती है. यहां से वोल्टेज को कंट्रोल किया जाता है.
लोको पायलट इसे नॉच की मदद से कंट्रोल करता है.
इलेक्ट्रिक ट्रेन को चलाने के लिए 25 हजार वोल्टेज की जरूरत होती है. रेलवे को बिजली की सप्लाई सीधे पॉवर ग्रिड से होती है.
इसीलिए इसमें कभी भी लाइट नहीं जाती है. ग्रिड में पावर प्लांट से सप्लाई की जाती है.
गौर किया हो तो देखा होगा कि रेलवे स्टेशन के किनारे बिजली के सब स्टेशन होते हैं. डायरेक्ट सप्लाई की वजह से यहां ट्रिपिंग नहीं होती है.