मधुमिता हत्या हत्याकांड के दोषी पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी व उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी आज जेल से रिहा होने वाले हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उनकी सजा को माफ कर दिया गया है. जानिए इस हत्याकांड को कैसे अंजाम दिया गया था.
तारीख 9 मई 2003 की है, 24 साल की कवयित्री मधुमिता शुक्ला लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी स्थित अपने घर में हाउस हेल्प देशराज के साथ रहती थीं.
दोपहर करीब 3 बजे का वक्त था कि अचानक गेट पर दो शख्स दस्तक देते हैं. देशराज गेट खोलता है तो वह मधुमिता से मिलने की बात कहते हैं.
देशराज ने अंदर जाकर मधुमिता को दोनों बारे में बताया. इसके बाद वह उनको लेकर अंदर आती है और देशराज से चाय बनाने को कहती है.
देशराज चाय लेकर आता है तो मधुमिता उसे किचन में जाकर रहने को कहती हैं.
इसके बाद एक तेज धमाके की आवाज आती है, देशराज जब कमरे में पहुंचता है तो मधुमिता खून से लथपथ पड़ी होती हैं और वो दोनों शख्स वहां से नदारद मिलते हैं.
देशराज की गवाही के आधार पर ही इन दोनों शूटर्स की पहचान संतोष राय और पवन पांडे के तौर पर होती है.
4 अक्टूबर 2007 को देहरादून की कोर्ट ने अमरमणि उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजे रोहित चतुर्वेदी और दोनों शूटर्स को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.