क्या आपने कभी सोचा है कि राजा विक्रमादित्य ने आयोध्या में जिस राम मंदिर का कराया था वो कैसा दिखता है.
स्वर्गीय रामगोपाल पांडेय शरद की रचना श्रीरामजन्मभूमि का रक्तरंजित इतिहास में इस मंदिर के बारे में जानकारी मिलती है.
बताया जाता है कि राजा विक्रमादित्य द्वारा बनाए गए राममंदिर का शिकर 40 किलोमीटर दूर मनकापुर से दिखाई देता था. ये मंदिर 600 एकड़ में बना हुआ था.
बताया ये भी जाता है इस मंदिर के गर्भगृह के सर्वोच्च शिखर और सात कलश थे. जिनकी चकम चकाचौंध करने वाली थी.
बताया जाता है कि प्रथम शताब्दी में जब अवंतिका(उज्जैन) के राजा विक्रमादित्य पहली बार अयोध्या आए, तो उन्हें अयोध्या के साथ रामजन्मभूमि भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में मिली
विक्रमादित्य ने अयोध्या का जीर्णोद्धार कराने के साथ रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया. इस मंदिर में कसौटी के 84 स्तंभ थे.
इस समय मंदिर के पास आस-पास 600 एकड़ का मैदान हुआ करता था. इस मैदान में सुंदर उद्यान, पक्के कुएं, फुलवारियां मौजूद थी.
बताया जाता है इस समय बड़े-बड़े विद्वान भगवान रामलला की मंगला आरती के समय श्री सूक्त और पुरुष सूक्त का सस्वर पाठ किया करते थे.
12 वीं शताब्दी के बाद रामजन्मभूमि आक्रांताओं के अधीन हो गई. 1528 ईस्वी में बाबर के आदेश पर उसके सेनापति ने रामजन्मभूमि पर बने मंदिर को तोप से ध्वस्त करा दिया गया.
वर्तमान जो राम मंदिर बन रहा है उसका पूरा क्षेत्रफल 70 एकड़ है. मुख्य मंदिर परिसर 2.5 एकड़ में बन रहा है.
मंदिर पूरा बन जाने के बाद मंदिर में तीन तल होंगे और 12 द्वार होंगे. मंदिर के मुख्य शिखर की लंबाई 161 फिट रखी गई है.
राम मंदिर के पूरे निर्माण में लगभग 1800 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. मंदिर निर्माण में अभी तक 1,100 करोड़ खर्च हो चुके है.