जैन धर्म के 24वें व अंतिम तीर्थंकर महावीर जी का जन्म चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन हुआ था. जैन धर्म के अनुयायियों के लिए महावीर जयंती एक खास दिन माना जाता है. इस साल 21 अप्रैल को वर्धमान महावीर की जयंती मनाई जाएगी.
जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व में हुआ था. जैन संप्रदाय में महावीर जयंती का विशेष है. जैनियों के मुताबिक, महावीर का जन्म चैत्र महीने में उगते चंद्रमा के तेरहवें दिन हुआ था.
इस दिन जैन धर्म के लोग भगवान महावीर की पूजा करते हैं और उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को याद करते हैं. महावीर जी ने संसार के सामने अपने अनमोल विचार भी रखे हैं. उनका कहना है कि अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है.
महावीर जी ये भी कहा कि भगवान का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है. हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास करके देवत्व प्राप्त कर सकता है.
महावीर स्वामी के 5 प्रमुख सिद्धांत थे, जिन्हें पंचशील सिद्धांत भी कहा जाता है, जो आज भी लोगों को समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की ओर ले जाते हैं. आइए जानते है. जैन धर्म के मूल सिद्धांतों में कुछ रोचक बातें शामिल हैं.
सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अस्तेय, ब्रह्मचर्य।
जैन धर्म में सत्य को बहुत महत्व दिया जाता है. महावीर जी कहते थे कि सत्य का धार्मिक जीवन में पालन करना, अपनी भावनाओं को सही तरीके से जताना और दूसरों को सत्य के प्रति आदर्श बनाने में अहम भूमिका निभाता है.
जैन धर्म में अहिंसा यानी अहिंसा को महत्व दिया जाता है. जैन धर्म के अनुसार, सभी प्राणियों के प्रति करुणा और अहिंसा की भावना होनी चाहिए.
जैन धर्म में अपरिग्रह की भावना को महत्व दिया जाता है, जिसका अर्थ है सामर्थ्य और संबंधों के साथ बिना वजह संबंध नहीं बनाना. अपरिग्रह यानी विषय व वस्तुओं के प्रति लगाव न होना.
यह जैन धर्म का एक खास सिद्धांत है, जिसमें यह बताया जाता है कि सत्य को समझने के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकते हैं और हर एक का अपना लक्षण होता है।
यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.