चुनाव के दौरान अगर आपको अपने क्षेत्र में खड़ा कोई भी उम्मीदवार सही नहीं लग रहा है तो आप इसका विरोध नोटा की बटन दबाकर कर सकते है.
जब आप वोट डालने जाएंगे तो आपको EVM में आखिरी बटन नोटा का दिख जाएगा. इस पर कोई उम्मीदवार नही होता है. इस बटन से आप अपने क्षेत्र से खड़े सभी उम्मीदवार के प्रति अस्वीकृति व्यक्त कर सकते है.
इस बार EVM में नया बदलाव देखने को मिलेगा. 2019 में नोटा लिखा हुआ नजर आता था. मगर इस बार नोटा का विकल्प चुनने में आसानी होगी. अब आपको नोटा में क्रॉस का चिन्ह नजर आयेगा.
आपको बता दें कि (NOTA) यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का चुनाव में बहुत ही महत्व है. नोटा पर वोट की संख्या बढ़ने से राजनीतिक दलों के वोट कटते हैं इससे जीत के अंतर में काफी बदलाव देखा जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में नोटा की घोषणा की. जिसमें उपरोक्त में कोई नहीं यानी आपके क्षेत्र से खड़ा उम्मीदवार में कोई नेता बनने के लिए उचित नहीं है तो नोटा का बटन दवा सकते हैं.
नोटा का फुल फॉम None of the Above मतलब इनमें से कोई नहीं होता है. आपको बता दें कि जब नोटा की व्यवस्था नही थी. तो योग उम्मीदवार न होने पर लोग वोट डालने नहीं जाते थे.
2014 में लोकसभा चुनाव में कुल मतदाता 13,88, 10, 557 थे. इसमें से 5 लाख 92 हजार 331 मतदाताओं ने नोटा पर वोट डाला था.
2019 में लोकसभा चुनाव में 14 करोड़ से आधिक लोगों ने नोटा का प्रयोग किया. सूत्रों के मुताबिक रॉबर्टसगंज बांदा, कौशाम्बी, श्रावस्ती और बांसगांव में अधिक नोटा का प्रयोग किया गया.
यूपी में नोटा की 2014 में 0.73 और 2019 में 0.84 फीसदी वोट नोटा को गया था. सूत्रों के मुताबिक यूपी में नोटा बटन के प्रयोग का फीसदी बढ़ रहा है.