चाणक्य नीति में कही गई हर बात हमारे जीवन की मुश्किलों को सुलझाने में मददगार साबित होती है.
चाहे वो जीवन जीने का तरीका हो या फिर जीवन में मौजूद लोगों को परखना, चाणक्य नीति सब बताती है.
जैसे चाणक्य नीति में श्लोक है "आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रु-संकटे। राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बान्धव:।।"
इसका अर्थ है कि रोग से पीड़ित, दुख, अकाल, शत्रु संकट या मृत्यु आने पर जो व्यक्ति साथ न छोड़े वही सच्चा दोस्त है.
परिवार से कोई सदस्य या बाहर से जीवन में आया कोई भी दोस्त, जो इन परिस्थितियों में आपके साथ है वहीं आपका अपना है.
बीमारी, दुख, दुश्मन, मृत्यु आने पर ये सभी लाइफ की वो सिचुएशन हैं, जब मदद या सहायता की जरूरत पड़ती है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं ऐसी परिस्थिति में जिस किसी का भी साथ मिल जाए बस वहीं आपका अपना है.
इसके अलावा सिर्फ आपको ही सहायता की उम्मीद नहीं रखनी बल्कि पहले ऐसी परिस्थिति में सहायता भी करनी है.
चाणक्य कहते है कि अगर आपकी जानकारी में मौजूद किसी भी व्यक्ति के जीवन में ये संकट हैं तो आपको उनकी मदद करनी चाहिए.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो लोग बुरे समय में और बीमारियों में मदद करते हैं, उनका साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए.
जो किसी की सहायता करता है, उसको ही सहायता मिलती है. जो किसी के काम नहीं आता उसके जीवन में संकट आने पर उसका साथ भी कोई नहीं देता.
यहां दी गई जानकारियां लोक मान्यताओं/ चाणक्य नीति पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.