प्रयागराज के इलाहाबाद म्यूजियम में बंगाल का विभाजन से लेकर आजादी के आंदोलन की कई तस्वीरें हैं. इन तस्वीरों के जरिए क्रांतिकारियों के आक्रोश को आप समझ सकते हैं.
इलहाबाद संग्रहालय में आजादी के संघर्ष को ऑडियो और वीडियो के माध्यम से देखा जा सकता है. जहां पर 1857 की क्रांति से लेकर 1947 तक के संघर्षों को दिखाया गया है.
मेरठ में एक अकेला ऐसा संग्रहालय है जो 1857 की क्रांति से जुड़ा हुआ है. ये संग्रहालय 1857 की क्रांति में शहीद हुए सेनानियों को समर्पित है और राष्ट्र का गौरव है.
संग्रहालय को 1995 में संस्कृति विभाग ने बनवाया था. इसमें पांच गैलरियां हैं. पहली और दूसरी गैलरी में 1857 की क्रांति गाथा का चित्रण डायरोमा से किया गया है.
1863 में छोटी छतर मंजिल में राज्य संग्रहालय लखनऊ की स्थापना हुई. 1880 में इलाहाबाद से कुछ पुरातात्विक महत्व की चीजें लाकर इस संग्रहालय में रखी गयीं.
आजादी के बाद 1948 में प्रदेश सरकार ने संग्रहालय पुनर्गठन समिति बनाई और 15 अगस्त सन् 1956 को संग्रहालय के नए भवन का शिलान्यास किया गया.
लखनऊ म्यूजियम में कदम रखते ही इतिहास में पहुंच जाने का अहसास होता है. इस म्यूजियम में शहीद चन्द्रशेखर आजाद का अस्थि कलश भी रखा गया है.
प्रयागराज में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का एक ऐसा अनूठा फैन है, जिसने बापू से जुड़ी तमाम चीजें एक छोटे से म्यूजियम को बनाकर रखी हुई है.
अल्मोड़ा में यह सबसे पॉपुलर टूरिस्ट अट्रैक्शन में से एक है. इसे राज्य संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक लेखों की एक श्रृंखला है.
सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा जी.बी. पंत को भेजे गए पत्र और महान नेताओं की नजरबंदी का विरोध करने वाले पर्चे लोगों को स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाते हैं.
गाजियाबाद के हिंडन विहार क्षेत्र में एक स्थान है जहां अंग्रेजों ने अपने अफसरों और सैनिकों की याद में स्मारक बनाए हुए हैं, जोकि हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता की याद दिलाते हैं.
हरिद्वार का भारत माता मंदिर उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित है, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता में अपना योगदान दिया. यहां भारत माता की मूर्ति भी है.