बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिरों की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी. इन दोनों मंदिरों को हिमालय में ऊंचाई पर बनाया गया है.
बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जबकि केदारनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. मंदिर के पृष्ठभाग में शंकराचार्य जी की समाधि है.
ये भी कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवों या उनके वंशज जन्मेजय द्वारा करवाया गया था. इस मंदिर का निर्माणकाल 10वीं व 12वीं शताब्दी के मध्य बताया गया है.
आदि शंकराचार्य का जन्म केरल में कालपी 'काषल' नाम के गांव में हुआ था. आदि शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की थी. अंतिम समय में शंकराचार्य अपने शिष्यों के साथ केदरनाथ के दर्शन करने पहुंचे थे.
शंकराचार्य का जन्मकाल लगभग 2200 वर्ष पूर्व का माना जाता है. वहीं कुछ इतिहासकार का मानना है कि आदि शंकराचार्य का जन्म 788 ईसवीं में हुआ था और उनकी मृत्यु 820 ईसवीं में हुई थी.
शंकराचार्य इतने ज्ञानी थे कि महज छह साल की उम्र में वह प्रकांड पंडित हो गए. 8 साल की उम्र में उन्होंने सन्यास ग्रहण कर लिया. कहा जाता है कि वह अपनी मां की इकलौती संतान थे इसलिए मां नहीं चाहती थीं कि वह सन्यासी बनें.
एक दिन नदी में एक मगरमच्छ ने उनका पांव पकड़ लिया. शंकर ने मां से कहा कि अगर वह उन्हें सन्यास लेने की अनुमति नहीं देंगी तो मगरमच्छ उन्हें खा जाएगा. जैसे ही उनकी मां ने उन्हें अनुमति दी मगरमच्छ ने उनका पांव छोड़ दिया.
आदि शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की थी. उत्तर दिशा में उन्होंने बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ की स्थापना की थी. पश्चिम दिशा के द्वारिका में शारदामठ की स्थापना की थी. इसकी स्थापना 2648 युधिष्ठिर संवत में की थी.
दक्षिण में उन्होंने श्रंगेरी मठ की स्थापना की. पूर्व दिशा में जगन्नाथ पुरी में गोवर्धन मठ की स्थापना की. जोशीमठ इलाके में यही वह जगह है जहां शंकराचार्य विलुप्त हुए थे.
शंकराचार्य ने चारों धाम की स्थापना की सनातन धर्म की फिर से स्थापना कर की. जब उनके कार्य पूरे हो गए तो उन्हें लगा कि जिस उद्देश्य से उनका जन्म हुआ था, वह उन्होंने पूरे कर लिए हैं.
शंकराचार्य अपने शिष्यों के साथ केदारनाथ में दर्शन करने पहुंचे. यहां उन्होंने शिष्यों के साथ भगवान के दर्शन किए. कहा जाता है कि शिवलिंग के दर्शन के बाद आदि गुरु शंकराचार्य की भगवान शंकर से बात हुई. उन्होंने उनसे देह त्यागने की अनुमति ली.
आदि शंकराचार्य मंदिर से बाहर आए. शिष्यों को रोका और कहा कि पीछे मुड़कर मत देखना. आदि शंकराचार्य यहां विलुप्त हो गए. जहां पर विलुप्त हुए उसी जगह पर शिवलिंग की स्थापना की गई. उनका समाधि स्थल बनाया गया.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का Zeeupuk हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.