सनातन धर्म में कुंभ मेले को एक विशेष स्थान प्राप्त है. पौराणिक ग्रंथों में भी कुंभ मेले का कई स्थानों पर उल्लेख है.
कई हिंदू मानते हैं कि कुंभ मेले की शुरुआत अनादि काल से हुई है.
वैदिक ग्रंथों में पाए जाने वाले समुद्र मंथन के बारे में हिंदू पौराणिक कथाओं में इसका प्रमाण मिलता है.
देव और दानवों द्वारा सागर का मंथन करने के बाद "अमृत " निकला था.
देवता और राक्षस अमरता प्राप्त करने के लिए अमृत के इस बर्तन, "कुंभ" के लिए लड़े थे.
कहते हैं कि विष्णु भगवान ने मोहिनी अवतार लिया था और अमृत अपने पास ले लिया था.
अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदे धरती पर गिरी थीं.
कलश से अमृत की बूंदे हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयाग में गिरीं.
बाद में इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेला का आयोजन किया जाने लगा.