यूपी का हर जिला या शहर किसी न किसी खास चीज के लिए मशहूर होता है. कोई शहर नक्काशी के लिए, कोई ताले के लिए तो कोई इत्र के लिए. लेकिन आज हम बात करते हैं खानपान की.
कुछ शहर अपने खानपान के लिए जाने जाते हैं तो कुछ मिठाई के लिए मशहूर होते हैं. बहुत तरह की मिठाईयां होती है, पर इनमें एक नाम ऐसा है जिसके जिक्र होने से ही मुंह में मिठास आ जाती है.
हम बात कर रहे हैं यूपी जौनपुर की जो इमरती के शहर के रूप में जाना जाता है. यहां की इमरती की मिठास दूर दूर तक फैली हुई है. इमरती भारत में खोजी गई मिठाई है. यह अरब से आई जलेबी का देशी वर्जन कही जा सकती है.
जौनपुर भले ही छोटा शहर हो लेकिन यहां की इमरती के स्वाद का जादू चारों ओर बिखरा हुआ है. इसका जायका लेने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं.
यहां की इमरती का स्वाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सूबे के सीएम योगी ने भी चखा है. मुख्यमंत्री योगी इसका जिक्र कई जनसभाओं में किया. भारत के आठवे प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को भी यहां की इमरती पसंद थी. चलिए अब बात करते हैं इसके इतिहास के बारे में.
बताया जाता है कि सन् 1855 में गोमती नदी के किनारे शाहीपुल के पास नखास मोहल्ले के निवासी बेनीराम और देवी प्रसाद दो सगे भाईयो ने शुरू किया था.
आज भी बेनीराम की इमरती के नाम से फेमस इमरती लगातार लोगों के मुंह में मिठास पैदा कर रही है. आज भी दुकान उनके परिवार के लोग चला रहे हैं.
इस इमरती की खासियत है कि उड़द की दाल ,देशी चीनी और शुद्ध देशी से लकड़ी की आंच पर बनायी जाती है. इस आधुनिक युग में भी आज उड़द की दाल को सिल बट्टे पर पीसकर इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कारण आज भी इस दुकान की इमरती काफी फेमस है.
देशी चीनी और देशी घी में बनने के कारण इमरती चाहे गर्म हो या ठंडा सीजन, दोनों परिस्थितियों मुलायम एवं स्वादिष्ट होती है. इसे बिना फ्रीज के भी करीब 10 दिन रख सकते हैं.
जौनपुर जाने के लिए रेल सेवा उपलब्ध है. जौनपुर सिटी या जौनपुर जक्शन स्टेशन पर उतरकर ऑटो या रिक्शे से दुकान तक जा सकते हैं. हवाई सफर से जाना हो ते सबसे नजदीकी बाबतपुर हवाई अड्डा लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर है.