सुकर्म या पुण्य में इतनी शक्ति होती है कि अपने पापों को भी नष्ट किया जा सकता है.
लेकिन हमारे पाप बढ़े या घटे हैं इसे जानने के लिए प्रेमानंद जी महाराज 4 संकेत बताते हैं.
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार व्यक्ति के सारे पाप नष्ट हुए या नहीं इसे चार तरह के विशेष संकेत जान सकते हैं.
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि व्यक्ति को ईश्वर का अनुभव होता है अगर उसके पाप नष्ट हो रहे हों. प्रभु के प्रति उसकी श्रद्धा अटल होती है. वाणी व मन में ईश्वर समाएंगे.
व्यक्ति की मांग, जांच, छल, कपट व चतुराई, क्रय-विक्रय से मुक्त होने लगता है और यह भी पापों के नष्ट होने का एक संकेत है. ईश्वर का दासत्व स्वीकारते हैं और मन में ये कामनाएं नहीं रह जातीं.
पाप नष्ट होते जाते हैं तो ईश्वर के सामर्थ्य का व्यक्ति को अनुभव होता है. एक-एक पंचतत्व यानी वायु, अग्नि, जल, आकाश, पृथ्वी जैसी अनंत शक्तियां समझने लगता है.
अक्सर लोग दुख-सुख आस-पास के लोगों के साथ साझा किया करते हैं. मन की हर बात दूसरों के साथ साझा करते हैं
लेकिन जिस दिन अपने मन की बातें व्यक्ति प्रभु से करता है हर-दुख सुख में उसे शामिल करता है तो समझ लीजिए कि उसे पापों से मुक्ति मिल चुकी है.
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है.