यूपी की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी 140 साल पुरानी, नेताओं की सबसे बड़ी फैक्ट्री

Amitesh Pandey
Aug 04, 2024

Allahabad University

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने सीयूईटी (CUET) का रिजल्‍ट जारी कर दिया है. इसके बाद यूनिवर्सिटी में दाखिले की प्रक्रिया तेज हो गई है. ऐसे में अगर आप भी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने की सोच रहे हैं तो हम बताएंगे यूपी के सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी की कहानी, जिसमें दाखिला मिल गया तो लाइफ सेट हो जाएगी. इस यूनिवर्सिटी ने कई प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री दिए हैं.

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

दरअसल, हम बात कर रहे हैं 140 साल पुराने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी को पूरब का ऑक्‍सफोर्ड भी कहा जाता है. 23 सितंबर 1887 को इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना की गई थी. भारत में शिक्षा के स्‍तर को सुधारने में इस यूनिवर्सिटी ने अहम रोल निभाया है.

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का इतिहास

बहुत कम लोगों को ही पता है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी पहले कोलकाता विश्वविद्यालय के एक शाखा के रूप में काम करती थी.

यूपी की पहली यूनिवर्सिटी

यह भारत की चौथी सबसे पुरानी और उत्तर प्रदेश की पहली यूनिवर्सिटी है.

देश की पांचवीं यूनिवर्सिटी

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पहले देश में चार और यूनिवर्सिटी की स्‍थापना हो चुकी थी.

ये चार यूनिवर्सिटी

इससे पहले कलकत्ता, मद्रास, बॉम्बे और पंजाब विश्‍वविद्यालय चार दिशाओं में स्थित थी.

इसलिए पढ़ा नाम

इसके अलावा उच्च स्तरीय अध्ययन और अध्यापन के कारण इसे ‘पूर्व का ऑक्सफोर्ड’ कहा गया.

राजधानी

1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने इलाहाबाद को अपनी राजधानी बनाया. यह शहर और संस्थान अंग्रेजी शासकों की निगरानी में थे.

उत्‍कृष्‍ट शिक्षा

इस यूनिवर्सिटी ने हिंदी साहित्य, इतिहास, दर्शनशास्त्र जैसे विषयों में उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान की थी, जिससे उसकी प्रतिष्ठा और भी बढ़ गई.

राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री दिए

इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने देश को दो राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा और जाकिर हुसैन दिए.

तीन प्रधानमंत्री

इसके अलावा तीन प्रधानमंत्री भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़कर निकले हैं.

ये पीएम

इसमें गुलजारी लाल नंदा, विश्वनाथ प्रताप सिंह और चंद्रशेखर ने भी इसी विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की.

मुख्यमंत्री भी

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से छह मुख्यमंत्रियों ने भी शिक्षा प्राप्त की है.

ये मुख्‍यमंत्री पढ़े

इनमें पंडित गोविंद बल्लभ पंत, हेमवती नंदन बहुगुणा, नारायण दत्त तिवारी, मदन लाल खुराना, विजय बहुगुणा और अर्जुन सिंह शामिल हैं.

डिस्क्लेमर

इन काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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