उसके चेहरे की चमक के सामने सादा लगा..करवा चौथ के चांद पर लिखे रोमांटिक शेर

Shailjakant Mishra
Oct 16, 2024

इफ़्तिख़ार नसीम

उसके चेहरे की चमक के सामने सादा लगा, आसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा

परवीन शाकिर

इतने घने बादल के पीछे ,कितना तन्हा होगा चाँद

निदा फ़ाज़ली

तुम भी लिखना तुम ने उस शब कितनी बार पिया पानी , तुम ने भी तो छज्जे ऊपर देखा होगा पूरा चाँद

फ़रहत एहसास

वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा ..तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं

बशीर बद्र

इक दीवार पे चाँद टिका था ..मैं ये समझा तुम बैठे हो

गुलज़ार

सूखी जामुन के पेड़ के रस्ते..छत ही छत पर जा रहा है चाँद

इब्ने इंशा

कल चौदवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा. कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तिरा

बेदिल हैदरी

रात को रोज़ डूब जाता है..चाँद को तैरना सिखाना है

शहबाज़ ख़्वाजा

मुझे ये ज़िद है कभी चाँद को असीर करूं..सो अब के झील में इक दायरा बनाना है

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