परिजात का पेड़ सिर्फ धार्मिक पेड़ नहीं है बल्कि इसके औषधिय गुण भी है. भूख को बढ़ाने और अन्य पाचन संबंधी विकारों को दूर करने में भी इस्तेमाल जाता है.
जिला मुख्यालय बाराबंकी से लगभग 38 किलोमीटर किन्तूर गांव में पांडवों की माता कुंती द्वारा स्थापित मंदिर के पास, एक विशेष पेड़ है जिसे ‘परिजात’ कहा जाता है.
इस पेड़ के बारे में कई बातें प्रचलित है कि अर्जुन इस पेड़ को स्वर्ग से लाये थे और कुंती इसके फूलों से शिवजी का अभिषेक करती थी.
किसी का मानना है कि कि भगवान कृष्ण अपनी प्यारी रानी सत्यभामा के लिए इस वृक्ष को लाये थे.
यह सत्य है कि यह वृक्ष एक बहुत प्राचीन है. माना जाता है कि परिजात वृक्ष विश्व में और कहीं नहीं मिलता है. बाराबंकी में इसका विशेष स्थान है.
वनस्पति विज्ञान में, परिजात को ‘ऐडानसोनिया डिजिटाटा’ के नाम से जाना जाता है, तथा इसे एक विशेष श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि यह अपने फल या उसके बीज का उत्पादन नहीं करता है, और न ही इसकी शाखा की कलम से एक दूसरा परिजात वृक्ष पुन: उत्पन्न किया जा सकता है.
आयुर्वेद में पारिजात के पत्तों का इस्तेमाल कई तरह के बुखार, खांसी, गठिया, और कृमि संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है.
पारिजात की पत्तियों का रस कड़वा होता है और टॉनिक के रूप में काम करता है. पारिजात के पत्तों और छाल का अर्क बुखार को तुरंत कम करने के लिए बहुत उपयोगी है. यह डेंगू और चिकनगुनिया बुखार में प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में मदद करता है.
पारिजात के फूल महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करते हैं. पारिजात के फूल मधुमेह रोगियों के ग्लूकोज़ स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं.
पारिजात के फूल सांस की समस्या या गैस की समस्या के लिए फ़ायदेमंद होते हैं. पारिजात के तने का इस्तेमाल सांप के काटने, पीठ दर्द या जोड़ों के दर्द में किया जाता है.
पारिजात के पत्तों को घिसकर रस निकाल लें. इसको दाद वाले हिस्से पर लगाएं. इससे दाद ठीक होता है. पारिजात के बीजों का पेस्ट लगाने से फोड़े-फुन्सी भी ठीक हो जाते हैं.
पारिजात की जड़ को मुंह में रखकर चबाएं. इससे नाक से खून आना बंद होगा. पारिजात के बीजों का पेस्ट बनाएं. इसे सिर पर लगाएं. इससे डैंड्रफ़ की परेशानी खत्म होती है.
पारिजात के बारे में हरिवंश पुराण में कहा गया है कि यह एक प्रकार का कल्पवृक्ष है. कहा जाता है कि यह केवल स्वर्ग में होता है. जो कोई इस पेड़ के नीचे मनोकामना करता है, वह ज़रूर पूरी होती है
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