कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करने से पहले विघ्नहर्ता भगवान गणेश की वंदना की जाती है. हर पूजा-पाठ में सबसे पहले इनका आवाहन किया जाता है. आखिर क्यों गणेश भागवान की पूजा में नहीं चढ़ाते हैं तुलसी. पढ़िए पूरी स्टोरी

Preeti Chauhan
Sep 10, 2023

तुलसी ने क्यों दिया था भगवान गणेश को श्राप, जानिए इसके पीछे की कहानी

तुलसी हिन्दुओं के लिए काफी पावन है. यह भगवान विष्णु की पूजा के लिए व्यापक रूप से इस्तमाल किया जाता है. इसके अलावा तुलसी में कई औषधीय गुण भी होते हैं.

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है. तुलसी को पवित्र माना जाता है. परंतु भगवान गणेश जी की पूजा में तुलसी चढ़ाना वर्जित है. इसके पीछे एक पौराणिक कथा है.

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार गणेशजी गंगा नदी के किनारे तपस्या कर रहे थे. तभी धर्मात्मज की बेटी तुलसी विवाह की इच्छा लेकर निकलीं. देवी तुलसी सभी तीर्थस्थलों का भ्रमण करते हुए गंगा के तट पर पहुंची.

शास्त्रों के अनुसार तपस्या में विलीन गणेश जी रत्न जटित सिंहासन पर बैठे थे. गजानन के समस्त अंगों पर सुगन्धित चंदन,गले में पारिजात पुष्पों के साथ स्वर्ण-मणि रत्नों के सुन्दर हार और उनकी कमर में अत्यन्त कोमल रेशम का लाल पीताम्बर लिपटा हुआ था.

तुलसी श्रीगणेश के इस सुंदर स्वरूप पर मोहित हो गईं. तुलसी ने विवाह की इच्छा से उनका ध्यान भंग कर दिया. तब श्री गणेश ने तुलसी द्वारा तप भंग करने को अशुभ बताया और खुद को ब्रह्मचारी बता उसके विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया.

विवाह प्रस्ताव ठुकराने पर तुलसी नाराज हो गईं और गणेशजी को श्राप दिया कि उनके एक नहीं बल्कि दो-दो विवाह होंगे.

इस पर श्री गणेश ने भी तुलसी को शाप दे दिया कि तुम्हारा विवाह एक असुर के साथ होगा.

एक राक्षस के साथ विवाह होने का शाप सुनकर तुलसी ने गणेशजी से माफी मांगी.

पौराणिक कथा के अनुसार गणेश भगवान ने कहा कि तुलसी कलयुग में जीवन और मोक्ष देने वाली होगी, लेकिन मेरी पूजा में तुम्हारा प्रयोग नहीं होगा. इसलिए तुलसी गणेश जी को नहीं चढ़ाते.

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