भोले बाबा के परम भक्‍त ने निकाली थी पहली कांवड़ यात्रा, हजारों साल पुरानी परंपरा

Amitesh Pandey
Jul 08, 2024

Kanwar Yatra 2024

सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू हो रहा है. सावन के महीने को भगवान शिव को समर्पित है. सावन में पूरे महीने भगवान शिव को जलाभिषेक करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है.

शिव को समर्पित महीना

सावन का महीने भगवान भोलेनाथ को समर्पित महीना है. सावन में ही भगवान शिव को मानने के लिए कांवड़ यात्रा (Kavar Yatra) लेकर जाते हैं और उन पर जल चढ़ाते हैं.

कांवड़ यात्रा का महत्‍व

भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग पर गंगा जल चढ़ाने की परंपरा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है. ये जल एक पवित्र स्थान से अपने कंधे पर ले जाकर भगवान शिव को सावन की महीने में अर्पित किया जाता है.

पैदल यात्रा

कांवड़ यात्रा के दौरान भक्त भोले बाबा के नारे लगाते हुए पैदल यात्रा करते हैं.

अश्‍वमेघ यज्ञ

मान्‍यता है कि कांवड़ यात्रा करने वाले भक्तों को अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य मिलता है.

सावन कब से?

इस बार कांवड़ यात्रा की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है. इसी दिन से ही सावन की शुरुआत हो रही है.

कब हुई थी कांवड़ यात्रा की शुरुआत

धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार, भगवान भोलेनाथ के भक्‍त परशुराम ने पहली बार कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी.

साधु-संत

उन्‍होंने सावन महीने में कांवड़ यात्रा की थी, तभी से साधु-संत कांवड़ यात्रा करने लगे.

श्रवण कुमार

इसके अलावा एक मान्‍यता यह भी है कि इस यात्रा की शुरुआत श्रवण कुमार ने की थी.

मां-बाप की इच्‍छा

श्रवण कुमार ने अपने माता-पित की इच्छा पूरी करने के लिए कांवड़ में बैठाकर लेकर हरिद्वार ले आए थे.

गंगाजल भी ले गए थे

हरिद्वार में गंगा स्नान करवाया था. साथ ही श्रवण कुमार वापस आते वक्त गंगाजल भी लेकर आए थे.

जलाभिषेक

इसी जल से श्रवण कुमार ने भोलेनाथ का जलाभिषेक किया था.

VIEW ALL

Read Next Story