सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू हो रहा है. सावन के महीने को भगवान शिव को समर्पित है. सावन में पूरे महीने भगवान शिव को जलाभिषेक करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है.
सावन का महीने भगवान भोलेनाथ को समर्पित महीना है. सावन में ही भगवान शिव को मानने के लिए कांवड़ यात्रा (Kavar Yatra) लेकर जाते हैं और उन पर जल चढ़ाते हैं.
भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग पर गंगा जल चढ़ाने की परंपरा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है. ये जल एक पवित्र स्थान से अपने कंधे पर ले जाकर भगवान शिव को सावन की महीने में अर्पित किया जाता है.
कांवड़ यात्रा के दौरान भक्त भोले बाबा के नारे लगाते हुए पैदल यात्रा करते हैं.
मान्यता है कि कांवड़ यात्रा करने वाले भक्तों को अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य मिलता है.
इस बार कांवड़ यात्रा की शुरुआत 22 जुलाई से हो रही है. इसी दिन से ही सावन की शुरुआत हो रही है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान भोलेनाथ के भक्त परशुराम ने पहली बार कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी.
उन्होंने सावन महीने में कांवड़ यात्रा की थी, तभी से साधु-संत कांवड़ यात्रा करने लगे.
इसके अलावा एक मान्यता यह भी है कि इस यात्रा की शुरुआत श्रवण कुमार ने की थी.
श्रवण कुमार ने अपने माता-पित की इच्छा पूरी करने के लिए कांवड़ में बैठाकर लेकर हरिद्वार ले आए थे.
हरिद्वार में गंगा स्नान करवाया था. साथ ही श्रवण कुमार वापस आते वक्त गंगाजल भी लेकर आए थे.
इसी जल से श्रवण कुमार ने भोलेनाथ का जलाभिषेक किया था.