महाभारत अब तक का सबसे बड़ा युद्ध माना जाता है. इसमें कौरवों की 11 अक्षौहिणी (करोड़) और पांडवों की सात अक्षौहिणी सेना ने हिस्सा लिया.
मगर द्वापर युग के महाभारत काल में ही उससे बड़ा युद्ध लड़ा गया. इसमें कृष्ण को मारने की साजिश रची गई.
श्रीकृष्ण के हाथों अपने भतीजे कंस के वध से बौखलाए जरासंध ने 17 बार मथुरा पर हमला किया, वो हर हाल में श्रीकृष्ण को मारना चाहता था.
श्रीकृष्ण और बलराम ने हर बार जरासंध की सेना का विनाश किया, लेकिन मायावी को हर बार जरासंध को छोड़ दिया.
जरासंध ने 18वीं बार भी मथुरा पर आक्रमण किया. उसके साथ आर्यावर्त के कई राजा थे. विदेशी सम्राट कालयवन भी एक करोड़ की सेना लेकर जरासंध से मिला.
जरासंध के पास 23 अक्षौहिणी (करोड़) सेना थी, महाभारत में कुल 18 अक्षौहिणी सेना ने भाग लिया था
जरासंध के लगातार आक्रमण से परेशान श्रीकृष्ण ने यादव कुल के साथ मथुरा छोड़ने का निर्णय लिया. महाराज उग्रसेन ने भी इसका समर्थन किया
श्रीकृष्ण के साथ सारे यदुवंशी धन दौलत लेकर द्वारका की ओर प्रस्थान किए, लेकिन रास्ते में जरासंध की सेना ने श्रीकृष्ण पर आक्रमण किया
प्रजा को बचाने के लिए श्रीकृष्ण और बलराम खुद प्रवर्षण पर्वत पर जा कर छिप गए. जरासंध भी यदुवंशियों को छोड़ अपनी सेना के साथ उनके पीछे गया.
जरासंध की अगुवाई में बलशाली राजाओं ने प्रवर्षण पर्वत को घेरा. जरासंध ने समूचे पर्वत पर आग लगवा दी ताकि श्रीकृष्ण और बलराम जल कर मर जाएं
हरिवंश पुराण के विष्णु पर्व के अनुसार, जरासंध की सेना में मद्र के राजा शल्य, कलिंग के राजा, चेकितान, भीष्म के ताऊ बाह्लीक, काश्मीर के राजा गोनर्द, करूष देश के राजा पौंड्रक, महाराज द्रुम जैसे बलशाली थे.
पुरुवंश के वेणुदारि, विदर्भ के राजा सोमक, भोजकट के स्वामी रुक्मी, मालवा के स्वामी सूर्याक्ष, पांचाल राजा द्रुपद, अवंती के राजा विंद और अनुविंद, मत्स्यदेश के राजा विराट, भूरिश्रवा, सुशर्मा जैसे महायोद्धा भी जरासंध के साथ थे.
पांडवों के कई रिश्तेदारों शल्य, बाह्लीक, द्रुपद, विराट, उलूक ने उस समय जरासंध जैसे पापी का साथ दिया. शल्य, विराट, द्रुपद औऱ चेकितान बाद में पांडवों की ओर से लड़े.
उलूक, एकलव्य, शाल्व, रुक्मी, पौंड्रक, सुशर्मा, बाण, शतधन्वा जरासंध के दोस्त की तरह इस आक्रमण में उसके साथ थे.
महाभारत के पहले जरासंध और भीम के बीच मल्लयुद्ध हुआ, जो करीब 13 दिन चला था. भीम जरासंध के शरीर के दो टुकड़े कर देते थे, जो फिर जुड़ जाते थे
श्रीकृष्ण ने घास की डंडी को अलग-अलग दिशा में फेंककर भीम को संकेत दिया.भीम ने जरासंध के दोनों टुकड़ों को अलग-अलग दिशा में फेंककर उसका वध किया.
जरासंध के वध के बाद श्रीकृष्ण ने उसकी कैद में रखे गए सभी राजाओं को आज़ाद कर दिया.स्वतंत्र राजाओं ने युधिष्ठिर को अपना सम्राट मान लिया
श्रीकृष्ण ने जरासंध के बेटे सहदेव को अभयदान देकर मगध का राजा बना दिया.
महा शिवभक्त जरासंध ने 86 राजाओं को बंदी बनाकर बना लिया था. वो इसकी संख्या 100 तक पहुंचाकर उनकी बलि देना चाहता था ताकि वो चक्रवर्ती सम्राट बन सके.
रानियों के गर्श से शिशु का एक टुकड़ा पैदा हुआ तो उसे जंगल में फेंक दिया. वहां जारा नाम की राक्षसी ने माया से टुकड़ों को जोड़ दिया और विशालकाय जरासंध बना.
मगध के राजा बृहद्रथ की दो पत्नियां थीं, लेकिनसंतान नहीं थी. ऋषि चंडकौशिक ने उन्हें एक फल देकर पत्नी खिलाने को कहा तो उन्होंने आधा-आधा फल काटकर दोनों को दे दिया.