महाभारत से जुड़ी कथाओं एक कथा ये है कि युधिष्ठिर ने एक बार अश्वमेघ यज्ञ करवाया.
यज्ञ के दौरान भारतवर्ष में घोड़े को भ्रमण पर भेजा गया और घोड़े की रक्षा का जिम्मा अर्जुन को मिला.
जहां जहां घोड़ा जाता उसके पीछे अर्जुन भी जाते. घोड़ा आज के मणिपुर पहुंचा जोकि अर्जुन और चित्रांगदा से हुए पुत्र बब्रुवाहन का राज्य था.
अर्जुन के पुत्र बब्रुवाहन ने साहस के साथ अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को रोक दिया और उसकी देखभाल करने लागा.
परंपरा अनुसार अर्जुन ने यज्ञ के घोड़े को रोकने पर युद्ध के लिए बब्रुवाहन को चुनौती दी, इस बात से वे अनजान थे कि अपने पुत्र को ही ललकार रहे हैं.
इस तरह दोनों के बीच युद्ध शुरू हो गया और बब्रुवाहन ने अपने ही पिता अर्जुन को परास्त किया और मूर्छित कर दिया.
चित्रांगदा को जब अर्जुन के मूर्छित होने के बारे में जानकारी मिली थो अर्जुन को मूर्छा दूर करने के लिए भगवान कृष्ण से प्रार्थना करने लगी.
तब श्री कृष्ण घटनास्थल पर प्रकट हुए और अपनी दिव्य शक्तियों से अर्जुन को जीवित किया.
इस तरह अपने पुत्र के हाथों अर्जुन मारे गए लेकिन फिर जीवित हो गए. बाद में चित्रांगदा ने अर्जुन और बब्रुवाहन के बीच के संबंध के बारे में धोनों को बताया.
नोट - इस लेख में दी गई जानकारी सूचना और मान्यताओं पर आधारित है. ZEEUPUK.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.