महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र के मैदान में लड़ा गया था. कौरव और पांडवों के बीच हुए युद्ध में कई पराक्रमी योद्धाओं की कहानियां आज भी प्रचलित हैं.
आपने जितना प्रभाव वरदान का है, उतना ही श्राप का भी है. कहा जाता है कि अगर श्राप न दिए गए होते महाभारत ही नहीं होती. आइए जानते हैं ऐसे 10 श्राप के बारे में.
भीम के बेटे घटोत्कच द्वारा सम्मान न दिए जाने पर द्रौपदी ने श्राप दिया था कि तेरा जीवन छोटा होगा और बिना किसी लड़ाई के मारा जाएगा.
अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र छोड़ने से लाखों लोग मारे गए थे. जिससे क्रोधित होकर कृष्ण ने श्राप दिया था कि वह 3 हजार साल तक निर्जन जगहों पर भटकेगा.
गांधारी ने अपने 100 बेटों की मृत्यु से दुखी होकर श्रीकृष्ण को श्राप दिया था कि उसके बेटों के तरह ही तुम्हारे वंश का एकदूसरे को मारने से नाश हो जाएगा.
उर्वशी कामुक प्रदर्शन और तर्क देकर काम वासना तृप्त करने में असफल रहीं तो उन्होंने क्रोधित होकर अर्जुन को नपुंसक होने का श्राप दे दिया था.
परशुराम से ब्रह्मास्त्र सीखने के लिए कर्ण ने ब्राह्मण का वेश धरा था, इस झूठ का पता होने पर परशुराम ने श्राप दिया कि जो विद्या सीखी वह उसे भूल जाएगा.
पांडु का बाण पत्नी के साथ सहवास करते ऋषि को लगा था, जिसके बाद ऋषि ने श्राप दिया कि उनकी मौत भी सहवास करते हुए ही होगी.
अम्बा ने भीष्म को श्राप दिया था, कहा कि अगले जन्म में पुरुष के रूप में जन्म लेकर उनकी मौत का कारण बनेगी. यही अम्बा शिखंडी बने.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.