महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र के मैदान में लड़ा गया था. कौरव और पांडवों के बीच हुए युद्ध में कई पराक्रमी योद्धाओं की कहानियां आज भी प्रचलित हैं.
लेकिन कई ऐसे भी पात्र हैं, जिनके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते हैं. आज हम आपको ऐसे ही पात्र के बारे में बताएंगे.
धृतराष्ट्र ने गांधारी की सेवा करने वाली दासी से सहवास कर लिया था. जिससे वह गर्भवती हो गई.
उससे एक पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम युयुत्सु रखा गया.
युयुत्सु का स्वभाव दयालु था, इसलिए वह दुर्योधन के कामों को बिलकुल पसंद नहीं करता था और उनका विरोध भी करता था.
युयुत्सु ने महाभारत के युद्ध को रोकने की भी कोशिश की थी लेकिन उसकी बात नहीं मानी गई.
पहले वह कौरवों की ओर से ही महाभारत के युद्ध में शामिल हुआ था.
लेकिन जब उसे युधिष्ठिर ने बताया कि वह अधर्म का साथ दे रहा है तो उसने अपना विचार बदल दिया.
इसके बाद वह पांडवों की सेना में आ गया, युधिष्ठिर ने उसकी योग्यता को देखते हुए सीधे युद्ध में नहीं उतारा.
युधिष्ठिर ने युयुत्सु को हथियार और रसद आपूर्ति व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी. जिसे उसने बखूबी निभाया. वह महाभारत युद्ध में बचे 18 योद्धाओं में शामिल था. युधिष्ठिर ने उसे मंत्री बनाया था.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.