अलम्बुष ऋषि ऋष्यश्रृंग का पुत्र था. जिनका विवाह दशरथ की पुत्री शांता से हुआ था. इस तरह वो राजा दशरथ का पोता था.
अलम्बुष भीम का रिश्तेदार भी था पर वह भीम के हिडिम्बा से विवाह से नाखुश था. वह भीम के हाथों हिडिम्बा के भाई हिडिम्ब की मौत से आहत था.
महाभारत युद्ध में जब अर्जुन और नागकन्या उलूपी के पुत्र इरावान ने शकुनि के छह बेटों को मार डाला तो दुर्योधन ने अलम्बुष से मदद मांगी
अलम्बुष राक्षस बकासुर भाई था. भीम द्वारा बकासुर को मारने का बदला लेने के लिए अलम्बुष कौरवों की ओर से लड़ा.
मायावी जादुई युद्ध में माहिर अलम्बुष और अर्जुन के पुत्र इरावान में आकाश में युद्ध लड़ा गया. दोनों ने मायावी शक्तियों का इस्तेमाल किया.
जब इरावान सामने आया तो अलम्बुष ने माया से दो हजार घोड़े उत्पन्न किए जिन पर भयानक राक्षस सवार थे, जिसने उसकी सेना को रौंद डाला.
इरावान ने बाणों से अलम्बुष के शरीर को भेद दिया, लेकिन जितनी बार प्रहार होता, उतनी बार माया से वो शरीर के घाव भर लेता था.
इरावान ने शेषनाग की हजारों नागों से अलम्बुष को बांध दिया. लेकिन अलम्बुष ने गरुड़ बनकर उस नागपाश को काट दिया.
इरावन से मृत्यु से क्रोधित भीम ने अपने बेटे घटोत्कच ने उसे युद्ध में मारकर भाई का बदला पूरा किया.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.