श्रीकृष्ण का वो साला जिसे बलराम ने मार डाला, महाभारत युद्ध भी न लड़ पाया

Amrish Kumar Trivedi
Jul 08, 2024

भीष्मक का पुत्र

रुक्मी महाभारत का बलशाली योद्धा और विदर्भ के राजा महाराज भीष्मक का सबसे बड़ा पुत्र था. भीष्मक के पांच पुत्रों में रुक्मी, रुक्मरथ, रुक्मकेतु, रुक्मबाहु एवं रुक्मनेत्र थे. रुक्मिणी नाम की उनकी एक पुत्री भी थी.

दिव्य अस्त्र प्राप्त किए

रुक्मी सबसे बलशाली और पराक्रमी युवराज था और पिता की जगह उसी ने राज्य को संभाला. परशुराम की तपस्या से उसने कई दिव्य अस्त्र भी प्राप्त किए

शिशुपाल से विवाह

रुक्मी अपनी छोटी बहन रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से कराना चाहता था.लेकिन रुक्मी के पिता भीष्मक रुक्मिणी का स्वयंवर करवाने के पक्ष में थे.

जरासंध का मित्र

महा बलशाली शिशुपाल श्रीकृष्ण के शत्रु जरासंध का मित्र था, लिहाजा भीष्मक भी शिशुपाल के साथ रुक्मिणी के विवाह को तैयार हो गया.

रुक्मिणी को कृष्ण पसंद

रुक्मिणी ने मन ही मन में श्रीकृष्ण को पति मान लिया था. शिशुपाल से बलपूर्वक विवाह के विरोध में रुक्मी ने श्रीकृष्ण से शादी की बात पिता और भाई को बताई.

रुक्मी को कृष्ण नापसंद

रुक्मी श्रीकृष्ण को पसंद नहीं करता था. वो रुक्मिणी का विवाह यादवकुल में नहीं करना चाहता था और उसे महल में कैद कर दिया.

रुक्मिणी का हरण

रुक्मिणी ने संदेश भिजवाया तो श्रीकृष्ण उनके हरण का फैसला किया, ताकि शिशुपाल से उनके विवाह के पहले ही उन्हें पत्नी बनाया जा सके.

शिशुपाल की शत्रुता

शिशुपाल भी सेना के साथ कुण्डिनपुर में था. श्रीकृष्ण से प्रेम कनरे वाली रुक्मिणी को पाकर वो अपना बदला पूरा करना चाहता था.

रुक्मी का दुस्साहस

श्रीकृष्ण गुप्त तरीके से कुण्डिनपुर पहुंचे और जब रुक्मिणी मां पार्वती की पूजा करने मंदिर गई तो वहीं से श्रीकृष्ण ने उनका अपहरण कर लिया.रुक्मी कृष्ण को रोकने निकल पड़ा.

श्रीकृष्ण ने जीवनदान दिया

कुण्डिनपुर के पश्चिम में भोजकट में श्रीकृष्ण रुक्मी का भयानक युद्ध हुआ.रुक्मी का वध कृष्ण करने वाले ही थे कि रुक्मिणी ने रोक लिया. श्रीकृष्ण ने उसका सिर मुड़वा दिया और रुक्मिणी को लेकर द्वारका चले गए.

राज्य वापस नहीं लौटा

हार से व्यथित रुक्मी कुण्डिनपुर नहीं लौटा और भोजकट में राजधानी बनाकर विदर्भ का राजकाज संभालने लगा.

कौरवों को हराने का दावा

महाभारत युद्ध में रुक्मी पांडव खेमे में पहुंचा. उसने भीष्म, द्रोण, कर्ण, कृपाचार्य, अश्वथामा और दुर्योधन को हराने का दावा किया तो श्रीकृष्ण को हंसी आई.अर्जुन और युधिष्ठिर ने भी उसे गंभीरता से नहीं लिया.

दुर्योधन से भी अपमान

रुक्मी दुर्योधन के शिविर में पहुंचा. दुर्योधन से उसने अर्जुन द्वारा अपमान की बताई और कौरवों के पक्ष से युद्ध करने की बात कही. उसने पहले दिन ही पांडवों को मारने का दावा किया. लेकिन दुर्योधन ने उसका प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया

बलराम ने मार डाला

श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के विवाह के बाद जुआं खेलने के दौरान रुक्मी 99 बार जीता. 100वीं बाजी में बलराम के जीतने पर उसने छल किया. बलराम ने वहीं उसे पटककर मार डाला.

डिस्क्लेमर

डिस्क्लेमर: पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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