धर्म की रक्षा के लिए कुरुक्षेत्र के मैदान में महाभारत का युद्ध लड़ा गया था, जो 18 दिनों तक चला था. युद्ध के आखिरी में केवल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे.
कौरव और पांडवों के बीच हुए महाभारत के युद्ध में कई पराक्रमी योद्धाओं की कहानियां आज भी प्रचलित हैं.
लेकिन क्या आप जानते हैं, महाभारत में एक ऐसा भी योद्धा भी था जो भविष्य में होने वाली घटना को पहले ही जान लेता था.
सहदेव पांडु पत्नी माद्री के जुड़वा बेटे सहदेव थे. उनके भाई नकुल हैं. वह पिता और भाई की तरह पशुपालन शास्त्र और चिकित्सा में दक्ष थे.
महाभारत के युद्ध में सहदेव के घोड़े के रथ के अश्व तितर के थे. उनके रथ पर हंस का ध्वज लहराता था. वह अच्छे रथ योद्धा माने जाते थे.
सहदेव को द्रोणाचार्य से धर्म, शास्त्र, चिकित्सा के अलावा ज्योतिष विद्या को सीखा था.
सहदेव भविष्य में होने वाली हर घटना को पहले से ही जान लेते थे. वे पहले से जानते थे कि कौन किसको मारेगा और कौन जीतेगा.
श्रीकृष्ण ने दिया श्राप लेकिन भगवान कृष्ण ने उनको श्राप दिया था कि अगर वह इसके बारे में किसी को बताएंगे तो उसकी मृत्यु हो जाएगा.
सहदेव की चार पत्नियां थीं. द्रोपदी, भानुमति, जरासंध की कन्या और विजया थीं.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.