महाभारत से पहले श्रीकृष्ण के हाथों छल से मारा गया योद्धा, जो अगले जन्म में द्रोणाचार्य का काल बना

Shailjakant Mishra
Jun 29, 2024

महाभारत

कौरवों और पांडवों के बीच 18 दिन तक महाभारत का महायुद्ध हुआ था, जिसके कई पराक्रमी योद्धाओं की आज भी चर्चा होती है.

किस्से

महाभारत में कई ऐसे पात्र हैं जिनकी खूब चर्चा होती है. क्या आप जानते हैं महाभारत से पहले भी योद्धा था जो श्रीकृष्ण के हाथों छल से मारा गया था. अगले जन्म में वह द्रोणाचार्य का काल बना.

एकलव्य

एकलव्य की गिनती अर्जुन की तरह ही सबसे बड़े धनुर्धरों में होती थी. वह द्रोणाचार्य से धर्नुविद्या सिखना चाहता था.

द्रोणाचार्य

द्रोणाचार्य उसके कौशल से प्रभावित थे. लेकिन उन्होंने एकलव्य के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था.

पराक्रमी

एकलव्य का केवल यह सिद्ध करना चाहता था कि वह बिना दाहिने अंगूठे के भी अर्जुन से बड़ा पराक्रमी है.

अहंकार

भविष्य में उसका स्वाभिमान अहंकार में बदल गया. वह यादव और कौरव कुल के लिए भविष्य में खतरा बन सकता था.

जन्मजात शत्रु

एकलव्य का समुह निषादराज जरासंध के समर्थक थे. जरासंध भगवान श्री कृष्ण का जन्मजात शत्रु था.

शत्रु

इस वजह से उनका चेहरा भाई होने के बावजूद भी एकलव्य भगवान श्री कृष्ण का शत्रु बन गया.

श्रीकृष्ण से सामना

एकलव्य ने युद्ध के समय श्री कृष्ण का सामना किया और उन्हें द्वंद की चुनौती दी,कृष्ण ने चुनौती स्वीकार कर ली.

मुकाबला

एकलव्य का मुकाबला किया, और उसे मार डाला, इस तरह उसके अहंकार का विनाश किया और संसार में पुनः धर्म की स्थापना की.

वरदान

माना जाता है कि कृष्ण ने उसकी मृत्यु पर एकलव्य को वरदान दिया था कि वह द्रोणाचार्य को मारने के लिए पुनर्जन्म लेगा.

द्रोणाचार्य को मारा

ऐसा कहा जाता है कि यह एकलव्य था जो द्रष्टद्युम्न के रूप में पैदा हुआ था और अंत में द्रोणाचार्य को मार दिया था.

डिस्क्लेमर

पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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