भगवान श्रीकृष्ण की अलौकिक लीलाओं में से एक लीला है कि वो बाल रूप में ही मैया यशोदा को ब्रह्मांड के दर्शन कराते हैं.
कथा है कि भगवान कृष्ण बचपन में मिट्टी खा लेते हैं. जब मैया यशोदा को ये बात बता चली तो भगवान से उन्होंने पूछा कि पूछा कि लल्ला तुमने मिट्टी खाई है.
यशोदा मैया के पूछने पर श्री कृष्ण ने गर्दन हिलाकर न कर दिया. मैया उनका मुंह जबरस्ती खोलने का प्रयास किया जानने के लिए कि कान्हा ने मिट्टी खाई है या नहीं. भगवान ऐसे में श्रीकृष्ण ने जैसे ही अपना मुंह खोला वैसे ही मैया यशोदा को उनके मुंह में पूरे ब्रह्मांड के दर्शन हो गए.
मथुरा के गोकुल में जिस जगह यह घटना हुई उस जगह पर आज ब्रह्मांड बिहारी मंदिर है. श्रीकृष्ण ने मिट्टी खाई इसलिए उन्हें यहां पर मिट्टी के पेड़ों का भोग लगता है. ऐसा यह एक मात्र मंदिर है.
मैया यशोदा को ब्रह्मांड के दर्शन हुए इस कारण इस घाट का नाम ब्रह्मांड घाट पड़ा व भगवान का नाम ‘ब्रह्मांड में हरी’दिया गया.
इस मंदिर के पास यमुना जी बहती हैं. यहीं से भोग या प्रसाद की मिट्टी निकाली जाती है. श्रद्धालु मिट्टी के पेड़ों को अर्पित प्रसाद घर ले जाते हैं.