कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रज के मंदिरों में कई तरह के उत्सवों का आयोजन किया जाता है. कहीं भगवान के सामने दीप जलाये जाते हैं तो कहीं भगवान को छप्पन भोग लगाए जाते हैं.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन वृंदावन के श्री रंगनाथ मंदिर में एक अनोखा उत्सव मनाया जाता है. जिसमें झोपड़ी जलाकर भगवान रंगनाथ की महाआरती की जाती है.
वृंदावन के दक्षिण शैली के मंदिर श्री रंगनाथ मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा को भव्य दीपदान उत्सव का आयोजन किया होता है. इस उत्सव के दौरान पूरे मंदिर परिसर में दीप जलाकर उत्सव को मनाया जाता है.
उत्तर भारत में कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है, लेकिन दक्षिण भारत में इस दिन कृतिका दीपोत्सव का पर्व मनाया जाता है.
कृतिका दीपोत्सव पर बहने भाईयों की मंगल कामना के लिए भगवान के सामने दीप जलाती है और चावल की मुड़ी और गुड़ के लड्डुओं का स्पेशल भोग भगवान को लगाया जाता है.
स्पेशल भोग लगाने के बाद वह प्रसाद सबसे पहले भाई को दिया जाता है. इसके बाद वह प्रसाद परिवार में सभी सदस्यों में बांटा जाता है.
कृतिका दीपोत्सव का समापन भगवान रंगनाथ और गोदा माता की महा आरती के साथ होती है. जिसके लिए पहले घास फूस से एक झोपड़ी तैयार की जाती है.
मंदिर सेवायत झोपड़ी की विधिविधान से पूजा करते है. फिर जब भगवान चांदी की पालकी में बैठकर मंदिर की परिक्रमा करते हैं तो झोपड़ी में अग्नि प्रज्वलित कर भगवान की महा आरती की जाती है.
मंदिर की मान्यतों के अनुसार, साल में एक बार भगवान रंगनाथ की महाआरती की जाती है. इसके साथ ही इस अनोखी आरती को देखने के लिए मंदिर सैकड़ों की संख्या में लोग दर्शन के लिये आते है.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.