अर्जुन का वो मित्र, जिसने बनाया मायावी इंद्रप्रस्थ महल, द्रौपदी ने जहां दुर्योधन का किया अपमान

Amrish Kumar Trivedi
May 24, 2024

महान वास्तुशिल्प

मत्स्यपुराण में 18 वास्तुशिल्पी बताए गए हैं, जिसमें एक मयदानव भी थी. विश्वकर्मा के पांच पुत्रों मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी एवं दैवज्ञ में मयदानव एक था.

लकड़ी का शिल्पकार

मनु को लोहे से, मय को लकड़ी, त्वष्टा को कांसा-तांबा, शिल्पी को ईंट और दैवज्ञ को सोने-चांदी की विशेषज्ञता थी.

पत्थरों को पिघलाने की ताकत

विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पकार थे तो मयदानव या मयासुर राक्षसों का. उसमें पत्थर को भी पिघलाने की ताकत थी.

मयदानव को जीवनदान

एक बार युद्ध के दौरान अर्जुन ने मयदानव को जीवनदान दिया था और उसे अपना मित्र बना लिया था.

रहस्यमयी महल

अर्जुन की सलाह पर मय दानव ने युधिष्ठिर के लिए राजधानी इन्द्रप्रस्थ में विशाल और चमत्कारिक मायावी महल बनाया.

महलनुमा इंद्रप्रस्थ

श्रीकृष्ण ने मयदानव को आज्ञा दी थी कि वो ऐसा महल बनाए जो धरती क्या स्वर्ग में भी किसी के समान न हो.

उपहार दिए

मयदानव ने पांडवों को देवदत्त शंख, वज्र से भी कठोर रत्न से जड़ित गदा और मणिमय पात्र भी उपहार दिया था

मेहमान बने कौरव

युधिष्ठिर ने जब राजसूय यज्ञ पूरा किया तो दुर्योधन भी अपने 99 भाइयों के साथ युधिष्ठिर के महल में मेहमान बना

भव्य इंद्रप्रस्थ

दुर्योधन के अनुरोध पर युधिष्ठिर ने सभी कौरवों और कर्ण को इंद्रप्रस्थ महल की भव्यता दिखाने का निर्देश दिया.

मायावी इंद्रप्रस्थ

इंद्रप्रस्थ ऐसा था कि फर्श की जगह पानी, पानी की जगह जमीन, द्वार की जगह दीवार और दीवार की जगह दरवाजा दिखता था.

दुर्योधन का अपमान

द्रौपदी ने युधिष्ठिर के राज्याभिषेक के समय राजमहल के बीच बने मायावी कुंड में गिरे दुर्योधन को अंधे का पुत्र अंधा कहकर अपमानित किया था

द्रौपदी चीर हरण

इसी के बाद द्रौपदी चीर हरण और फिर उसके बाद भयानक महाभारत युद्ध देखने को मिला, जिसमें कौरव वंश का सर्वनाश हो गया.

डिस्क्लेमर

पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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