जानते है नान खटाई के बारे में

खटाई शब्द का जहां भी इस्तेमाल होता है लोग उसका मतलब खट्टा ही समझते है. ठेले पर विभिन्न प्रकार की वैयारटी मिलती है जिसमें खटाई का उपयोग किया जाता है. लेकिन आज हम बात करेगें एक ऐसी खटाई के बारे में जो खाने में खट्टी नही बल्कि मीठी होती है. बच्चों से लेकर बूढ़ो तक सब इसके दीवानें हो जाते है.

Rahul Mishra
Jun 21, 2024

कैसे हुई ईजाद

16वीं शताब्दी में डच भारत में व्यापार करने आए थे. डच जोड़े ने सूरत में एक बेकरी की स्थापना की और जब उन डचों ने भारत छोड़ा तब उन्होंने वह बेकरी एक इरानी को दे दी.

ईरानी बिस्कुट

नान खटाई को ईरानी बिस्कुट के नाम से भी जाना जाता है. इस व्यंजन को अपनी असली उंचाई तब प्राप्त हुई जब यह बम्बई के बाजारों में पहुंची जहाँ पर गुजराती आबादी बड़ी संख्या में निवास करती थी.

भारत का पांरपरिक बिस्कुट

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में बनने वाली नानखटाई की क्वालिटी के तौर पर आज भी देशभर में विशेष पहचान रखती है. नानखटाई एक पारंपरिक भारतीय बिस्कुट के नाम से जाना जाता है. इसको बिना अंड़े से तैयार किया जाता है.

किससे है बनती

मेरठ की मशहूर नानखटाई की बात करे तो ये बेसन, मूंग की दाल, सूजी और खरबूजे के बीज, ड्राई फ्रूट के मिश्रण से बनाई जाती है. सबसे पहले मूंग की दाल और ड्राई फ्रूट को पिसकर उसको बेसन में मिलाया जाता है.

कैसे है पकाते

नानखटाई तैयार करने के लिए लगभग 5 से 6 कारीगरों को निरंतर कार्य करना पड़ता है. उसके बाद कोयला या कुछ स्थानों पर गैस की भट्टी पर नानखटाई को पकाया जाता है.

कितने होते है रेट

नानखटाई की रेटों की बात की जाएं तो 150 रुपये से 300 रुपये प्रति किलो तक होती है.

गर्मी के मौसम में है प्रचलित

गर्मी का मौसम शुरू होते ही मेरठ की मशहूर नान खटाई की खुशबू शहर के हलवाइयों की दुकानों में महकने लगती है.

बेहद स्वादिष्ट

इंडियन बिस्किट पूरी तरह से शाकाहारी होता है. इसे बच्चे से लेकर बूढ़े तक सब पसंद करते है और इसका स्वाद बहुत अलग होता है.

मुंह में रखते ही घुल जाती है

इसकी खासियत है कि ये मुंह में रखते ही ये घुल जाती है. नान खटाई को बड़ी ही बारीकी के साथ तैयार किया जाता है. जरा सी भी चूक से इसका मजा और स्वाद दोनों ही बिगड़ जाता है.

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