मैं अगर अपनी जवानी के सुना दूं किस्से ये जो लौंडे हैं मेरे पाँव दबाने लग जाए
ज़मीं पे घर बनाया है मगर जन्नत में रहते हैं हमारी ख़ुश-नसीबी है कि हम भारत में रहते हैं
अपने मे'यार से नीचे तो मैं आने से रहा शेर भूखा हूँ मगर घास तो खाने से रहा
सी को हमसफ़र करना पड़ेगा नहीं तो दूर तक खाली सड़क है
तेरे बग़ैर ही अच्छे थे क्या मुसीबत है ये कैसा प्यार है हर दिन जताना पड़ता है
शराब दौड़ रही है रगों में ख़ून नहीं मेरी निगाह में अब कोई अफ़लातून नहीं
तेरी खता नहीं जो तू गुस्से में आ गया पैसे का ज़ोम था तेरे लहज़े में आ गया
सबसे बेजार हो गया हूं मैं ज़ेहनी बीमार हो गया हूं मैं
तुमको हिचकी लेने से भी दिक़्क़त थी मैंने तुमको याद ही करना छोड़ दिया