जोड़ों का दर्द दे रहा मोबाइल-लैपटॉप, आज ही अपना लें AIIMS की ये 5 सलाह

Zee News Desk
Oct 12, 2023

जोड़ों में दर्द

मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. इसकी वजह से लोग तमाम तरह की बीमारियों की जद में आ रहे हैं. एक हालिया अध्‍ययन में खुलासा हुआ है कि मोबाइल फोन लोगों को जोड़ों के दर्द का मरीज बना रहा है.

एम्‍स का नया शोध

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के अध्ययन में सामने आया है कि राजधानी दिल्ली के 58 फीसदी युवा किसी न किसी जोड़ों के दर्द से परेशान हैं.

गर्दन दर्द

इनमें से 56 फीसदी युवा गर्दन के दर्द से परेशान हैं. 29 फीसदी को कंधों में दर्द, 27 फीसदी को रीढ़ की हड्डी और लोअर बैक पेन है.

कलाइयों में दर्द

वहीं, 9 फीसदी युवा घुटनों में दर्द और कलाइयों में दर्द से परेशान हैं. शोध में 510 ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जो 6 घंटे या उससे ज्‍यादा मोबाइल फोन इस्‍तेमाल कर रहे थे.

मोबाइल विलेन

शोध में पाया गया कि ज्यादातर मामलों में इस दर्द का कारण यानी विलेन मोबाइल फोन है.

सिर का वजन

दरअसल, एक वयस्क इंसान के सिर का वजन आमतौर पर 4 से 5 किलो का होता है, लेकिन जब हम झुककर देखते हैं तो गर्दन और रीढ़ की हड्डी के लिए ये वजन बढ़ने लगता है.

तीन गुना वजन

जब मोबाइल की स्क्रीन देखने के लिए गर्दन 15 डिग्री नीचे झुकाते हैं तो गर्दन पर तीन गुना ज्यादा वजन बढ़ता है.

60 डिग्री झुक जाती है गर्दन

देर तक मोबाइल की स्क्रीन में घुसे रहने वाले इंसान की गर्दन 60 डिग्री तक भी झुक जाती है. 60 डिग्री झुकने पर सिर का 4 से 5 किलो का वजन बढ़कर गर्दन और रीढ़ के लिए 25 किलो से ज्यादा हो जाता है.

जेनेटिक कारण जिम्‍मेदार नहीं

एम्स के शोधकर्ताओं ने पाया गया कि आमतौर पर जेनेटिक समझी जाने वाली इस बीमारी के शिकार होने वाले लोगों में जेनेटिक कारण जिम्मेदार नहीं थे.

लंबे समय तक मोबाइल चलाना खतरनाक

60 फीसदी लोगों को लंबे समय तक मोबाइल फोन और खराब लाइफस्टाइल ने तरह तरह के दर्द दे दिए हैं.

यह बीमारी

इस बीमारी को मेडिकल भाषा में rheumatoid arthritis कहते हैं. ये बीमारी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है.

असल कारण

एम्‍स के वैज्ञानिकों के मुताबिक, रयूमेटॉइड आर्थराइटिस यानी जोड़ों में सूजन और दर्द की बीमारी दरअसल एक इम्यून सिस्टम का डिसऑर्डर है.

क्या है समाधान

जोड़ों के दर्द की दवाएं कई बार उम्र भर लेनी पड़ सकती हैं, लेकिन अगर लाइफस्टाइल बदला जा सके और योग को रोजाना के रूटीन में शामिल किया जाए तो ये बीमारी काबू में रह सकती है.

2 मिनट का ब्रेक लें

20 मिनट लगातार स्क्रीन पर बिताने के बाद कम से कम 2 मिनट का ब्रेक जरूर लें.

गर्दन को घुमाएं

कुर्सी पर बैठे, गर्दन को बाएं से दाएं कई बार आराम से घुमाएं.

कान को कंधे से छूएं

कान को कंधे से छूने की कोशिश करें.

हाथ जोड़कर माथे पर रखें

दोनों हाथों को जोड़कर माथे पर रखें. हाथों से सिर को पीछे की ओर धकेलें जबकि अपनी ताकत से सिर को आगे की ओर धकेलें.

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