दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था, इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था आपको देखकर वो बरसा ऐसा, इस कदर दिल मेरा कभी शरमाया न था
बारिश से ज्यादा तासीर है तेरी यादों मे हम अक्सर बंद कमरे मे भी भीग जाते हैं
आज की शाम गुजारेंगे हम तेरी यादों की बारिश में, तरबतर होने में बेफिक्र सड़क पर आया हूं
कहीं फिसल न जाऊं, तेरे ख्यालों में चलते चलते अपनी यादों को रोक लो, मेरे शहर में बारिश हो रही है
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे मैं एक शाम चुरा लूं अगर बुरा न लगे
मत झटका करो गीले गेसुओं से पानी की वो बूंदे, ये कम्बखत बादल भी बरसने से इनकार कर देता है
गुनगुनाती हुई आती हैं फलक से बूंदें लगता है तेरी पाजेब बादल से टकराई है
आंखों में समेटे हूं तेरी यादों का समंदर ऐ बादल तू इस बार इतना मत बरस
सारी महफिलों की रौनक आज मंद पड़ गई, बारिश की बूंदे तेरे चेहरे पर जो आज चंद पड़ गईं
कम से कम अपनी जुल्फें तो संभालकर निकला करो, कमबख्त, झटकती हो तो बेवजह मौसम बदल जाता है
सुहाने मौसम में दिल कहीं भटक जाता है, उस गली में जाते ही फिर से दिल अटक जाता है