दिल्ली-हरिद्वार राजमार्ग पर सबसे अधिक उपजाऊ जमीन के साथ ऊपरी गंगा-यमुना के क्षेत्र में स्थित मुजफ्फरनगर यूपी के सबसे समृद्ध शहरों में से एक है.
शहर दिल्ली एनसीआर का एक हिस्सा है. यहां खड़ी बोली जाती है. जो हरियाणवी बोली से मिलती जुलती है.
महाभारत काल की यह जगह पांडवों के कुल से जुड़ी है. उनके वंशज का संबंध यहां से जुड़ा है
कहा जाता है कि इसी जगह पर राजा परीक्षित को शमीक ऋषि के गले में मृत सांप डालने के कारण उनके पुत्र श्रृंगी ऋषि ने श्राप दिया था.
यह विशाल पेड़ शुक्रताल में ही स्थित है. अक्षय वट वाटिका एक विशाल बरगद का पेड़ है जो 5100 साल पुराना है, पेड़ की ऊंचाई 150 फीट है.
शहर का एक प्रसिद्ध मंदिर जो कि गणेश जी की 35 फीट ऊंची मूर्ति के लिए लोकप्रिय है.
शहर से 4 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटा सा गांव है जो वहलना जैन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है.
इस मंदिर में विभिन्न एकादश शिवलिंगों का एक समूह है; जो हिंदू भक्तों के लिए एक विशिष्टता है.
संकीर्तन भवन भगवान तिरूपति बालाजी को समर्पित एक मंदिर है. यह मंदिर पूरे उत्तर भारत में भगवान बालाजी का एकमात्र मंदिर है.
मुजफ्फरनगर में जूलॉजी संग्रहालय सनातन धर्म कॉलेज के परिसर में पाया जाता है. इसकी स्थापना 1970 में हुई थी.