जब अर्जुन और श्रीकृष्ण के बीच छिड़ा था भयंकर युद्ध, धर्मसंकट में फंसी सुभद्रा ने किसका साथ दिया

Amrish Kumar Trivedi
Jul 21, 2024

चित्रसेन की गलती

महाभारत काल में महर्षि गालव एक बार सूर्य को अर्घ्य दे रहे थे, तभी चित्रसेन गंधर्व आकाश से गुजरते हुए जिन्होंने नीचे थूक दिया.

थूक गिरा

उनका थूक सीधे महर्षि गालव की अंजुलि में गिरा. उन्होंने तपोबल से जान लिया कि वो चित्रसेन है.लेकिन तपस्या भंग होने से वो चित्रसेन को श्राप नहीं दे पाए.

गालव श्रीकृष्ण से मिले

गालव श्रीकृष्ण से मिले और बदला लेने की बात कही. ब्राह्मण के अपमान पर कृष्ण ने चित्रसेन का वध करने की प्रतिज्ञा कर ली.

श्रीकृष्ण नारद से मिले

तभी नारद भी श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचे. श्रीकृष्ण ने उन्हें सारी बात बताई. श्रीकृष्ण से विदा लेकर नारद सीधे चित्रसेन के पास पहुंच गए.

भिक्षुकों को दान

चित्रसेन तब भिक्षुकों को दान दे रहे थे. नारद ने कहा, मृत्यु से पूर्व दान दक्षिणा देना पुण्य का कार्य है. नारद ने उन्हें सब सच बता दिया.

चित्रसेन के वध की प्रतिज्ञा

श्रीकृष्ण ने आठ प्रहर में चित्रसेन के वध की प्रतिज्ञा कर ली थी. चित्रसेन श्रीकृष्ण को जनता था. उसने नारद से ही पूछा कि कैसे उसके प्राणों की रक्षा हो सकती है.

चित्रसेन थे गुरु

नारद ने चित्रसेन को अर्जुन से मदद की सलाह दी. गंधर्व चित्रसेन ने ही अज्ञातवास के समय बृहन्लला बने अर्जुन को नृत्य और संगीत की शिक्षा दी थी.

अर्जुन श्रीकृष्ण का अनन्य भक्त

चित्रसेन को पता था कि अर्जुन श्रीकृष्ण का अनन्य भक्त है. नारद ने उन्हें अर्जुन की पत्नी सुभद्रा अभयदान मांगने को कहा.

चित्रसेन यमुना के तट पहुंचा

चित्रसेन यमुना के तट पहुंचा और संध्या वंदन कर रही सुभद्रा को बताया कि वो अर्जुन के गुरु रहे हैं. सुभद्रा ने अर्जुन से उसके प्राणों की रक्षा की बात कही.

सुभद्रा का वचन

सुभद्रा ने वचन दिया कि अर्जुन चित्रसेन की रक्षा करेगा. लेकिन उन्हें यह भी पता चला कि श्रीकृष्ण यानी उनके भाई ने ही उनके वध का संकल्प लिया है. दोनों में युद्ध होगा

सुभद्रा के वचन का मान

सुभद्रा ने अर्जुन को चित्रसेन को दिया वचन बताया. साथ ही श्रीकृष्ण के संकल्प के बारे में भी बताया. अर्जुन ने सुभद्रा के वचन का मान रखने का वादा किया.

चित्रसेन अर्जुन की शरण में

नारद ने श्रीकृष्ण से पूछा कि चित्रसेन कहां है. तो पता चला कि चित्रसेन अर्जुन की शरण में है, लेकिन श्रीकृष्ण ब्राह्मण को दिए वचन पर अटल रहे.

श्रीकृष्ण इंद्रप्रस्थ पहुंचे

महर्षि गालव और नारद सहित श्रीकृष्ण इंद्रप्रस्थ पहुंचे और नारद ने अर्जुन को चित्रसेन को सौंप देने की सलाह दी. अर्जुन ने कहा, कृष्ण उनके सबसे प्रिय हैं, लेकिन वो वचन से बंधे हैं.

श्रीकृष्ण और अर्जुन में भयानक युद्ध

फिर श्रीकृष्ण और अर्जुन में भयानक युद्ध छिड़ गया. दोनों में युद्ध बहुत देर चलता रहा. अंत में श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र फेंका तो अर्जुन ने ब्रह्मास्त्र का संधान कर दिया.

ब्रह्मांड हिला

ब्रह्मांड हिला तो ब्रह्मा युद्ध क्षेत्र में पहुंचे और अर्जुन और श्रीकृष्ण को समझाया. ब्रह्मदेव ने अर्जुन से ब्रह्मास्त्र वापस लेने को कहा. श्रीकृष्ण से कहा -ऐसे तो सृष्टि का विनाश हो जाएगा.

युद्ध से पीछे हट गए

श्रीकृष्ण अंततः उस युद्ध से पीछे हट गए और अपनी प्रतिज्ञा तोड़ कर भक्त अर्जुन के प्रतिज्ञा की रक्षा की. उन्होंने अर्जुन को ह्रदय से लगा लिया.

महर्षि गालव नाराज

इससे महर्षि गालव नाराज हुए और अंजुली में जलकर अर्जुन सहित चित्रसेन को भस्म करने चले.

सुभद्रा ने बचाया

सुभद्रा ने कहा, हे महर्षि अगर मैं पतिव्रता हूं और श्रीकृष्ण पर मेरी पूर्ण भक्ति है तो आपका जल भूमि पर ना गिरे और ऐसा ही हुआ. उनका क्रोध शांत हो गया।

चित्रसेन ने मांगी क्षमा

चित्रसेन ने भी गालव ऋषि से क्षमा मांगी. महर्षि गालव सभी को आशीर्वाद देकर वापस अपने आश्रम लौट गए और चित्रसेन के प्राणों की रक्षा हुई.

डिस्क्लेमर

पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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