पीपल भारतीय समाज में सिर्फ आस्था का वृक्ष माना जाता है. लेकिन इसके औषधीय गुण भी कई हैं. इसके नीचे बैठने मात्र से ऑक्सीजन की कमी दूर होती है.
वैज्ञानिक अध्ययन में यह देखा गया है कि पीपल के पत्ते में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण पाए जाते हैं, जो विभिन्न प्रकार के दर्द और सूजन की समस्या को ठीक कर सकते हैं.
फटी एड़ियों के लिए आप पीपल की छाल का इस्तेमाल कर सकते हैं. पीपल की छाल में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जिस कारण इसे फूट क्रीम (पैरों के लिए) को तैयार करने में भी इस्तेमाल किया जाता है.
डायरिया की स्थिति में इंसान बहुत थका हुआ महसूस करने लगता है, क्योंकि डायरिया में पतले दस्त होने लगते हैं. दिनभर में तीन या अधिक बार दस्त होना डायरिया के लक्षण माने जाते हैं.
डायरिया से उबरने के लिए आप पीपल की छाल का उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि पीपल की छाल में एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. अगर इसकी छाल से निकलने वाले अर्क का सेवन किया जाए, तो यह डायरिया को प्रभावी रूप से ठीक कर सकता है.
पीपल के पत्तों से बने हुए तेल में स्टेरॉयड, फ्लेवोनोइड्स, और एल्कलॉइड्स बायोएक्टिव यौगिक पाए जाते हैं.
एक वैज्ञानिक शोध में देखा गया है कि बायोएक्टिव यौगिक न केवल दांतों को सफेद करने का गुण रखते हैं, बल्कि यह मुंह की दुर्गंध व मसूड़ों की एलर्जी को भी सुधारने का काम कर सकते हैं.
एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, अगर पीपल का पत्ता रात भर भिगोकर रखा जाए और अगले दिन अर्क का सेवन तीन बार किया जाए, तो हृदय से जुड़ी समस्याओं को कम किया जा सकता है.
एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार यह देखा गया कि पीपल में हेपोप्रोटेक्टिव क्रिया (लीवर को डैमेज होने से बचाने वाली एक क्रिया) पाई जाती है.
अस्थमा की समस्या में पीपल के पत्ते के फायदे देखे जा सकते हैं। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार यह देखा गया कि पीपल के पत्ते के अर्क में ऐसे विशेष गुण पाए जाते हैं.