हिन्दू धर्म में चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व है. इस दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है. इस बार चैत्र पूर्णिमा मंगलवार, 23 अप्रैल, 2024 को होगी. लेकिन इस बार की चैत्र पूर्णिमा में शाम को आपको कुछ अलग ही नजारा देखने को मिलेगा.
हर साल नजर आने वालीं ‘लिरिड उल्का बौछार’ इस साल 22-23 अप्रैल की रात दिख सकती हैं. इस दौरान आसमान में आग के गोलों के रूप में चमकीली उल्काओं को देखा जा सकेगा.
ज्योतिष शास्त्र और हिंदू धर्म में चंद्रमा से जुड़ी गतिविधियों को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.
अगर आप सोच रहे हैं कि पिंक मून का मतलब गुलाबी है तो ये पूरी तरह गलत होगा. असल में चांद का यह नाम पूर्वि अमेरिका में पाए जाने वाले पौधे हर्ब मॉस पिंक के नाप रखा गया.
आमतौर पर भारत में संत ऋतु की पहली पूर्णिमा को पिंक मून कहा जाता हैं. इस फसह का चांद भी कहते हैं. इसका मतलब है ईस्टर से पहले का चांद. वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले एक हफ्ते तक गुलाबी चांद जगह-जगह पर नजर आता रहेगा.
पिंक मून की स्थिति तब बनती है जब दो घटनाएं एक साथ हों. चांद धरती के बहुत करीब हो और उसी समय पूर्णिमा हो यानी फुल मून हो. ऐसी स्थिति में चांद बड़ा दिखता ही है.
चांद कई बार लाल रंग का भी दिखाई देता है, इसे की ब्लड मून भी कहा जाता है. जिस तरह से कई बार सूर्य की रोशनी आकाश में बिखरने के कारण आकाश कई बार लाल या नारंगी रंग का दिखाई देता है, उसी वजह से चांद भी लाल रंग का दिखाई देता है.
कई बार प्रदूषण के कारण चांद का रंग पीला या नारंगी भी नजर आता है. चांद से आनी वाली सफेद रोशनी में से नीली रोशनी बिखर जाती है और यह पीला या नारंगी दिखता है.
जब हवा में मौजूद कण चांद का रंग नहीं बदल पाते तो यह भूरे रंग के जैसा दिखता है. इस हाल में चांद के धब्बे भी दिखाई देते हैं.
चांद सबसे ज्यादा सफेद चमकीला या चांदी के रंग का दिखाई देता है. सूर्य की रोशनी उससे टकराकर धरती पर लौटती है तब रात में वह चांदी के रंग का दिखाई देता है.
यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.