पितृपक्ष हमारे पूर्वजों के कर्ज को चुकाने का समय होता है. पितृपक्ष के दौरान पूर्वज अपने वंश से मिलने आते हैं. इस दौरान कोई भी शुभ या नए काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए.
श्राद्ध का भोजन पूरी शुद्धता से बनाना चाहिए. भोजन बनाने से पहले किचन और गैस को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए.
साथ ही भोजन में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें.
श्राद्ध का भोजन ब्राहम्ण को हमेशा सूर्य चढ़ने के बाद ही करवाना चाहिए.
माना जाता है कि सूर्य की किरणों से ही हमारे पितर भोजन को ग्रहण करते हैं.
ऐसे में सूर्य का प्रभाव जिता अधिक होगा, पितरों को भोजन उतने अच्छे से मिल जाएगा.
बिना ब्राहम्ण को भोजन कराएं खुद भोजन ना करें. साथ ही भोजन के वक्त मौन रहें.
श्राद्ध का भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण कर लेना चाहिए. इसमें कोई कमी नहीं निकालनी चाहिए.