पीएम मोदी 30 मई को गोरखपुर में गीता प्रेस की शताब्दी समारोह में शामिल होंगे
विश्व प्रसिद्ध गीता प्रेस को 100 साल 30 मई को पूरे होने जा रहे है. इसी को लेकर गोरखपुर में समारोह का आयोजन होने जा रहा है.
साल 1923 में किराए की दुकान से शुरू हुई गीता प्रेस ने मात्र एक रूपये में लोगों तक गीता पहुंचाई थी
1923 में यूपी के गोरखपुर में इस प्रिंटिंग प्रेस की नींव राखी गई थी. गीता प्रेस ने केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में नाम कमाया है
गीता प्रेस ने हिंदी और संस्कृत के अलावा 13 भाषाओं में हिन्दू धर्म से जुड़ें ग्रन्थ को प्रकाशित किया है.
गीता प्रेस ने सनातन धर्म की एक साल में 2 करोड़ से भी अधिक किताबें छापी हैं. रामचरितमानस पर राजनीतिक विवाद के बाद से इसकी 50 हजार किताबें ज्यादा बिकी हैं
गीता प्रेस अब तक 92 करोड़ से भी ज्यादा धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन कर चुका है
रामचरितमानस को घर-घर पहुंचाने का श्रेय भी गीता प्रेस को ही जाता है
गीता प्रेस धार्मिक एंव आध्यात्मिक पुस्तकों के सबसे बड़े प्रकाशक है. गीता प्रेस एक ट्रस्ट के तौर पर काम करता है.
गीता प्रेस का लक्ष्य मुनाफा कमाना नहीं बल्कि लोगों तक कम कीमत में धार्मिक पुस्तकें उपलब्ध करवाना है