शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होते ही रामलीला भी शुरू हो जाते हैं. रामलीला में प्रभु श्रीराम, माता सीता और हनुमान के किरदार के रूप में उनकी भूमिकाओं का मंचन किया जाता है. यूपी में होने वाली रामलीलाओं का इतिहास रामायण जैसा पुराना है. इन्हीं में से एक है प्रयागराज की फेमस रामलीला.
प्रयागराज की श्रीपथरचट्टी रामलीला 16वीं शताब्दी से चली आ रही है. मुगल काल में भी यहां रामलीला का मंचन होता रहा है.
कहा जाता है कि मुगल शासक अकबर भी रामलीला के शौकीन था, वे रामलीला का मंचन देखने श्रीपथरचट्टी जाते थे.
एक बार सीता विदाई का मार्मिक मंचन देख अकबर की आंखें नम हो उठी थीं. इसका जिक्र आइना-ए-अकबरी में है.
श्रीपथरचट्टी के अलावा प्रयागराज के कटरा की रामलीला भी काफी फेमस है.
कटरा की रामलीला करीब 270 साल पुरानी है. यहां बड़े-बड़े कलाकार मंचन करते हैं.
यहां की रामलीला पूरे उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध ध्वनि और प्रकाश आधारित रामलीला के लिए जानी जाती है.
इस बार प्रयागराज की रामलीला का आयोजन 2 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक किया जा रहा है.
इसका निर्देशन चंकी बच्चन और कृष्णा यादव द्वारा किया जा रहा है. आजादी की लड़ाई से पुरानी यह रामलीला है.
बताया गया कि आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ाई के दौरान यहां की रामलीला बंद कर दी गई थी.
इसके बाद जब देश आजाद हुआ तो साल 1934 में इसे फिर से शुरू कर दिया गया.
शुरुआत में इस रामलीला में अयोध्या के कलाकार मंचन करते थे. धीरे-धीरे इसमें बड़े कलाकारों को भी मौका मिलने लगा.
इस बार वेब सीरीज UP65 में काम कर चुके सत्यम तिवारी और दो अन्य अभिनेता रावण और मेघनाद का किरदार निभा रहे हैं.