प्रेमानंद जी महाराज का उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित सरसौल के अखरी गांव में जन्म हुआ. (Shri Premanand Maharaj)
प्रेमानंद जी का बचपन में अनिरुद्ध कुमार पांडे नाम था. पिता का नाम श्री शंभू पांडे व महाराजजी की माता का नाम श्रीमती रामा देवी है. (Premanand Maharaj ji ka ghar)
प्रेमानंद महाराज का पूरा परिवार भक्ति में डूबा रहता है और यही कराण है कि बाबा का बचपन भक्तिमय माहौल बीता. उनके परिवार में लोग गीता का पाठ किया करते थे.
दरअसल, बाबा के घर में भक्तिमय माहौल होने से उन्होंने गीता का पाठ पांचवीं कक्षा से ही शुरू कर दिया.
अध्यात्म से वे इतने प्रभावित थे कि करीब 11 साल की उम्र में आधी रात को ही उन्होंने अपने घर का त्याग कर दिया और वाराणसी चले गए.
13 वर्ष की उम्र में ही बाबा ने दीक्षा ली और संत बन गए. जब प्रेमानंद जी महाराज का नाम आरयन ब्रह्मचारी कर दिया गया. बाबा के दादाजी भी एक संन्यासी थे.
हालांकि, शुरुआत में उनके मन में वृंदावन जानें का ख्याल थोड़ा भी नहीं आया था लेकिन अध्यात्म व भक्ति से उनका पूरापूरा लगाव था.
दरअसल, किसी मे उन्हें वृंदावन की रासलीला के बारे में बताया जिसे देखने की इच्छा में प्रेमानंद महाराज जी ने वृंदावन जाने की सोची.