हमारा भगवान से क्या संबंध है? इसका उत्तर देते हुए प्रेमानंद जी महाराज जी उदाहरण देते हैं और बहुत सुंदर तरीके से समझाते हैं.
प्रेमानंद महाराज जी उत्तर देते हुए भक्त के सामने पिता-पुत्र और दुकानदार का उदाहरण रखते हैं
प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं कि दुकानदार से कुछ मीठा खाने को मांगने पर वो सवाल करता है कि कितना चाहिए, पेट भरने के लिए देदो तुम ऐसा कहोगे.
प्रेमानंद महाराज जी ने भक्त का जवाब देते हुए आगे कहा कि इस पर दुकानदार पूछेगा कि कितने में पेट भरेगा, जिस पर तुम कहोगे एक किलो देदो, फिर दुकानदार तुमसे 500 रुपये मांगेगा.
महाराज जी ने आगे कहा कि जब तुम पिता के पास जाकर कहो कि कुछ खिला दो तो वो पैसों के बारे में नहीं पूछेंगे क्योंकि तुम बेटे हो. ऐसे ही भगवान भी पिता जैसे ही होते हैं.
महाराज जी ने आगे कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि भगवान को 11 हजार रुपये का भोग लगाओ, काम हो जाएगा. इसे प्रेमानंद जी ने इसे गलत कहा.
अगर उनको उचित लगता होगा तो देंगे, नहीं तो नहीं देंगे. बालक गंदे विचारों के साथ अगर पिता से पैसे मांगे तो पिता नहीं देगा क्योंकि गंदगी में वह पैसे को खर्च करेगा.
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