एक सत्संग में प्रेमानंद जी महाराज से पूछा गया गया कि इंसान की ओवरथिंकिंग कैसे रुकेगी और व्यक्ति की मांगें कैसे और कब पूरी हो पाएंगी.
प्रेमानंद जी महाराज ने इस पर जवाब दिया कि क्या ओवरथिंकिंग रुपयों से रुकेगी? इंसान एक की चाह करेगा, तो लाखों फिर करोड़ों की चाह बढ़ेगी.
प्रेमानंद जी महाराज ने ये भी कहा कि करोड़ों की पूर्ति के लिए अरबों की चाह होगी. ऐसे कई चीजों की चाह करके देखों कि मन शांत होता है या नहीं होता है.
प्रेमानंद जी महाराज उदाहरण से समझाया कि मन एक भूत जैसा है. किसी ने एक बार भूत सिद्ध किया तो उसने कहा कि तुम्हारा काम को मैं करूंगा पर मुझे काम हमेशा लगाना होगा.
अगर काम न बताए तो उठाकर पटक देंगे. सिद्ध करने वाला व्यक्ति गुरु जी के पास जाकर भूत की कहानी सुनाई.
गुरु जी ने कहा एक खंभा गाड़ दो और भूत को कहो इस पर चढ़ते उतरते रहो, यही तुम्हारा काम है. इस कहानी से प्रेमानंद जी महाराज ने व्यक्ति के मन से तुलना करते हुए गुढ़ बात समझाने की कोशिश की.
महाराज जी ने कहा कि मन को कभी खाली न रखो, वरना ये भूत जैसा ही मन इंसान को ओवरथिंकिंग में डाल देगा. राधा-राधा रटते-जपते रहो. नाम जप नहीं करोगे तब तक मन शांत नहीं होगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है.)