उत्तराखंड का ये इलाका जन्नत जैसा, 12 महीने बर्फ और खूबसूरत झीलों में उमड़ते हैं पर्यटक

Pooja Singh
Jun 06, 2024

कमद सहस्त्रताल

कमद सहस्त्रताल को द लेक ऑफ गॉड्स या सात तालों का समूह के नाम से भी जाना जाता है. ये ताल खतलिंग ग्लेशियर के पश्चिमी छोर पर 4572 मीटर की ऊंचाई पर है. यहां कई छोटी-छोटी झीलें भी हैं.

सात तालों के नाम

यहां के 7 तालों के नाम दूधी ताल, दर्शनताल, लुम्बताल, लिंगताल, कोकालीताल, नरसिंगताल और परिताल है. इनके किनारे खिलने वाले ब्रह्मकमल इनकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं.

रोमांच से भरा

इन तालों की सुंदरता एक अनछुआ हिस्सा है. प्रकृति प्रेमियों और साहसिक पयर्टन के शौकीनों के लिए ये बेहद मुफीद स्थान है. बस लोग यहां आकर इनकी सुंदरता को न बिगाड़ें.

कई मान्याताएं प्रचलित

सहस्त्रताल का मार्ग आज भले ही ट्रैकिंग के लिए अच्छा हो, लेकिन इसके पीछे कई मान्यताएं हैं. मान्यता है कि जब पांडवों ने स्वर्ग के लिए यात्रा शुरू की थी तो इसी मार्ग से गए थे.

स्वर्गोरोहण का मार्ग

बताते हैं कि पांडवों के स्वर्गोरोहण का मार्ग होने के कारण लोग तालों के किनारे अपने प्रियजनों की फोटो रखते हैं, जिससे उनके पित्रों को पांडवों की तरह स्वर्ग में स्थान मिलेगा.

स्वर्ग में स्थान

ये भी किवदंति है कि जो लोग यहां पर आते हैं, वे यहां ताल के किनारे पत्थरों से छोटे-छोटे घर बनाते हैं. कहा जाता है कि यहां घर बनाने से स्वर्ग में अपने लिए स्थान बनता है.

ऋषिकेश से 130 किमी दूर

ऋषिकेश से कमद मार्केट 130 किमी दूरी पर है. ऋषिकेश-कमद, ठान्ड़ी-कमद गांव से सहस्त्रताल तक प्राकृतिक सुन्दरता का अद्भुत सफर पर्यटकों को रोमांचित करता है.

कई छोटे-बड़े ताल

सहस्त्रताल गढ़वाल मंडल का सबसे बड़ा और सबसे गहरा ताल माना जाता है. ये भले ही 7 तालों का समूह है, लेकिन यहां एक के बाद एक कई छोटे-बड़े ताल दिखाई देते हैं.

पिलन्गना नदी

यहां से पिलन्गना नदी निकलती है. ये जिले के मल्ला ग्राम में गंगा से मिलती है. दर्शन ताल से 200 मीटर ऊपर चढ़ाई चढ़ने और 100 मीटर नीचे उतरकर 3 अन्य ताल दिखेंगे.

देवी का स्थान

पिलन्गना नदी गुत्तू से होकर पुरानी टिहरी गणेश प्रयाग में गंगा में मिलती है. केदारखण्ड में सहस्त्र ताल को देवी का स्थान बताया गया है. जिनके नाम छन्द मस्ता और बगलामुखी है.

सहस्त्र ताल की यात्रा

ठान्ड़ी-कमद गांव से सहस्त्र ताल की यात्रा शुरू होती है, जो 45 किमी एक तरफ का पैदल मार्ग है. रास्ते मे ऊंचे पहाडों, घने जंगलों, बुग्यालों, फूलों की घाटियां और नदी-झरने हैं.

ट्रैकिंग में समय

कमद से ज्यादा प्रचलित और कम चढ़ाई वाला ट्रैक कमद वाला रास्ता है. इस ट्रैक पर जौरई बुग्याल का 6 किमी का लंबा मैदान है. यहां के लोगों को 5 दिन और पर्यटकों को 8 दिन का समय लगता है.

ये है रूट

टिहरी की ओर से आने वालों को 64 किमी घनसाली, घनसाली से 31 किमी घुत्तू, फिर घुत्तू से 14 किमी बूढ़ाकेदार और बूढ़ाकेदार के बाद ट्रैकिंग कर 15 किमी दूर बेलक और वहां से 10 किमी ट्रैक करके सहस्त्र ताल पहुंचना होता है.

कब करें यात्रा?

सहस्त्र ताल आने के लिए सबसे बेहतर समय जून से सितंबर के बीच माना जाता है. उस समय झील के आसपास का क्षेत्र रंग-बिरंगे और मोहक फूलों से भरा रहता है. ब्रह्मकमल यहां पर बहुतायत खिलते हैं.

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