कांवड़ यात्रा कितने प्रकार के होते हैं, आइए जानें Kanwar Yatra 2023

जानिए सभी प्रकार की कांवड़ यात्रा के बारे में

Padma Shree Shubham
Jul 22, 2023

भगवा वस्त्र में भक्त

कांवड़ यात्रा पर निकले शिव भक्तों को कांवड़िया कहते हैं जो भगवा वस्त्र धारण करते हैं.

घड़ों में गंगा जल

कांवड़ बांस या डंडे के दोनों छोर पर लटकाई गई दो टोकरियां होती है जिसमें घड़े रखे होते हैं जिसे लेकर नंगे पैर पैदल चलना होता है. उन्हीं घड़ों में गंगा जल भरा जाता है.

भोलेनाथ को जल अर्पित

गंगा स्नान के बाद भक्त अपने कंधों पर कांवड़ उठाते है और जल को श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी तिथि के दिन शिवरात्रि पर भोनेनाथ को अर्पित करते हैं.

4 तरह के कांवड़

कावंड़ यात्रा में भक्त 4 तरह के कांवड़ लेकर निकलते हैं. अपनी आस्था के अनुसार भगवान शिव के लिए भक्त कांवड़ लेकर यात्रा पर निकलते हैं.

सामान्य कावंड़ यात्रा

सामान्य कावंड़ यात्रा में कांवड़िये रुक रुक कर और आराम करते हुए यात्रा को पूरी कर सकते हैं. इस कांवड़ यात्रा को ज्यादा से ज्यादा शिव भक्त करते हैं.

डाक कावंड़ यात्रा

डाक कांवड़ यात्रा में भक्त एक बार यात्रा शुरू कर लेते हैं तो शिवजी का जलाभिषेक करने तक कावड़ लेकर चलते ही रहते हैं. जहां से ये भक्त गुजरते हैं उस रास्ते को खाली किया जाता है.

खड़ी कावंड़ यात्रा

खड़ी कांवड़ यात्रा में कांवड़िये संग और लोग भी होते हैं. इसमें जब कावंड़िया आराम कर रहा हो तब उसकी कांवड़ साथ वाले अपने कंधों पर रखते हैं और चलने के अंदाज में हिलाते डुलाते हैं.

दांडी कावंड़ यात्रा

दांडी कावंड़ यात्रा में नदी तट से शिवमंदिर तक कांवड़िये दंड विधि से ले जाते हैं यानी लेटकर अपने शरीर से रास्ते की लंबाई नापते हैं.

बहुत कठिन

दांडी कावंड़ यात्रा बहुत कठिन होता है. दंडवत होकर ही इस यात्रा को पूरी करते हैं. एक महीने तक का समय भी इस यात्रा में लग जाता है.

डिसक्लेमर

इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की पुष्टि हम नहीं करते हैं.

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