आगरा के ताजमहल के बारे में हम सब ने सुना होगा. ताजमहल को प्यार की निशानी के तौर पर देखा जाता है. मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में ताजमहल का निर्माण करवाया. ताजमहल की वजह से मुमताज को सभी जानते हैं, हालांकि शाहजहां की और पत्नियों के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं.
मुमताज महल का जन्म 27 अप्रैल को 1593 को आगरा में अब्दुल हसन असफ खान के घर हुआ था. मुमताज बेगम का असली नाम अर्जुमंद बानो बेगम था.
अर्जुनमं बानो के पिता, जहांगीर के वजीर थे. जहांगीर की मुख्य रानी नूरजहां के भाई भी थे. इसी रिश्ते से मुमताज महारानी नूरजहां की भतीजी थीं.
बाद में जहांगीर के बेटे शाहजहां से मुमताज का निकाह हो गया. उस समय उनकी उम्र 11 वर्ष थी.
शादी के बाद ही अर्जुमंद बानो बेगम को 'मुमताज महल' की उपाधि दी गई.
शाहजहां ने अर्जुमंद बानो यानी मुमताज महल की याद में ही ताज महल बनवाया था.
शाहजहां की तीसरी बीवी इज्ज उन-निस्सा थीं. इज्ज-उन-निस्सा पटरानी थीं.
इज्ज-उन-निस्सा ने दिल्ली में दो शानदार स्मारक बनवाए थे. इनमें से एक आज भी है.
शादी के बाद इज्ज-उन-निस्सा का नाम अकबराबादी बेगम रखा गया. बताया गया कि उनका परिवार अकबराबाद से आया था.
बाद में अकबराबाद के नाम से ही ताजनगरी का आगरा नाम रखा गया.
बताया जाता है कि शाहजहां ने पहली बार इज्ज-उन-निस्सा को आगरा किले के शाही बगीचे में देखा था.
पहली बार देखते ही शाहजहां को इज्ज-उन-निस्सा से प्यार हो गया था.
इस काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.