15 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है.
नवरात्रि के नौ दिनों में देवी मां को अलग-अलग भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से आदिशक्ति प्रसन्न होती हैं.
नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा का विधान है. इस दिन मां शैलपुत्री को गाय के घी भोग लगाना चाहिए.
नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है. इस दिन देवी मां को शक्कर का भोग लगाना शुभ होता है.
नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा होती है. इस दिन मां को दूध का भोग लगाना चाहिए.
चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप कुष्मांडा की पूजा होती है. इस दिन माता कुष्मांडा को मालपुआ का प्रसाद चढ़ाएं.
नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता को केले के फल का भोग लगाना चाहिए.
नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा के षष्टम स्वरूप मां कात्यानी की पूजा होती है. इस दिन माता रानी को शहद का भोग लगाएं.
नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सप्तम स्वरूप मां कालरात्रि को गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाना चाहिए.
नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के अष्टम स्वरूप मां महागौरी की पूजा होती है. इस दिन मां को नारियल चढ़ाना चाहिए.
नवरात्रि के नौवें और आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री को देसी घी में बने हलवा-पूड़ी और खीर का भोग लगाना चाहिए.
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