श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. कान्हा की जन्मस्थली मथुरा-वृंदावन में इसका नजारा देखने लायक होता है. यह भगवान श्रीकृष्ण का 5251वां जन्मोत्सव है.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 26 को मनाएं या 27 अगस्त को, इसे लेकर इस बार भी लोगों के मन में भ्रम है. अलग-अलग पंचांग में अलग-अलग जानकारी होने को लेकर यह स्थिति बन रही है.
अगर ज्योतिषियों की मानें, तो 26 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाया जाना विशेष पुण्यकारी होगा.
इस बार अष्टमी निशिथ व्यापिनी है. अर्द्धरात्रि में अष्टमी के साथ रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि भी रहेगा. इसी संयोग में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया था.
ज्योतिषी के अनुसार, भाद्रपद मास, कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, सोमवार या बुधवार, वृषभ राशि का चंद्र, ये सभी योग इस बार जन्माष्टमी पर बन रहे हैं.
यह योग जयंती के नाम से प्रसिद्ध है. इस प्रकार का दुर्लभ संयोग युगों-युगों तक पुण्य संचय से प्राप्त होता है.
इस दिन व्रत और उपवास करने से करोड़ों यज्ञ करने का फल मिलता है. इसके साथ ही सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
गृहस्थ 26 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे. जबकि सूर्योदय के अनुसार नक्षत्र, तिथि को मानने वाले वैष्णवजन 27 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे.
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान सहित सभी प्रमुख मंदिरों में जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त की मध्यरात्रि को मनाया जाएगा. वृन्दावन के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी 27 अगस्त को मनाई जाएगी. इस तरह कृष्ण जन्मोत्सव दो दिन तक चलेगा.
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