कृष्ण ने जिस प्रकार राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी से प्रेम विवाह किया था और स्वयंवर के पहले उनका अपहरण कर अपने साथ ले गए थे. वैसे ही एक और रानी से विवाह किया था.
भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियां थीं और 16 हजार रानियां थीं. इन पटरानियों में एक राजकुमारी मित्रविंदा भी थीं.
मित्रविंदा भगवान श्रीकृष्ण की बुआ राज्याधिदेवी की पुत्री थीं. राज्याधिदेवी की बहन कुंती थीं.
मित्रविंदा अवंतिका के राजा जयसेन की पुत्री थीं. वो बेहद सुंदर राजकन्या थीं, जिससे हर राजकुमार विवाह को लालायित दिखता था.
मित्रविंदा के भाई विंद और अनुविंद बलशाली योद्धा थे.वो दोनों दुर्योधन के परम मित्र भी थे.
विंद और अनुविंद मित्रविंदा का विवाह कौरव योद्धा दुर्योधन से कराना चाहते थे, लेकिन वो श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं.
विंद और अनुविंद ने मित्रविंदा के लिए स्वयंवर का आयोजन किया और उसे समझाया कि वो दुर्योधन के गले में ही वरमाला डाले. वो दुर्योधन को भी पसंद थीं.
लेकिन जब श्रीकृष्ण को बलपूर्वक विवाह का पता चला तो उन्होंने स्वयंवर से ही मित्रविंदा का अपहरण कर लिया.
मित्रविंदा से कृष्ण के 10 पुत्र और एक पुत्री थी. उन दस पुत्रों के नाम वृक, हर्ष, अनिल, वर्धन, आनंद, महाश, पावन, वहि औऱ क्षुधि शामिल हैं. उनकी पुत्री का नाम शुचि था.
इस कारण विंद-अनुविंद महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े औऱ पांडवों की सेना को बड़ा भारी नुकसान पहुंचाया.
महाभारत युद्ध में पांडवों के महाबलशाली सेनापति सात्याकि ने विंद और अनुविंद को भयंकर युद्ध में मार डाला था.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.