भारत पर करीब 200 सालों तक मुगलों का राज रहा. इस दौरान उन्होंने देश के अलग-अलग शहरों में कई इमारतें बनवाई, जो आज भी काफी मशहूर हैं.
मुगलों ने मुख्य रूप से आगरा और दिल्ली को अपनी राजधानी बनाई, लेकिन मुगल बादशाह और दरबारी देश के अलग-अलग हिस्सों में आते-जाते रहते थे.
ऐसे में मुगलों ने अपनी सेना को भी बढ़ाया. वो सेना के बलबूते पर धीरे-धीरे अपना साम्राज्य बढ़ाते रहे. उनकी सेना में लाखों सिपाही के साथ ही नौसेना भी थी.
मुगल बादशाह खुद भी दिल्ली से आगरा और इलाहाबाद तक यमुना में नाव के जरिए सफर करते थे. आज हम मुगलों की नौसेना के बारे में बता रहे हैं.
मुगल साम्राज्य में नौसेना का विकास सीमित था, लेकिन इसका इस्तेमाल नदियों और समुद्र में होता था. ये नदियों में चलने वाली नौकाओं और छोटे युद्धपोतों तक सीमित थी.
अकबर के शासनकाल में नौसेना का एक विभाग था, जो नदियों की निगरानी और यात्रियों की यात्रा की व्यवस्था करता था. मुगल नौसेना ने कई सैन्य अभियानों में भाग लिया.
जहांगीर के समय बंगाल के गवर्नर इस्लाम खां ने अराकान के राजा को हराया था. गुजरात अभियान के बाद अकबर को नौसेना की जरूरत महसूस हुई थी.
नदियों की निगरानी और जल मार्ग से यात्रा करने वाले ऐसे यात्री जो किराया देने में सक्षम नहीं होते थे, उनकी यात्रा की व्यवस्था ये विभाग करता था.
नाव से नदी पार करने पर हाथी के लिए आठ आना और 20 यात्रियों के लिए एक आना कर तय था. विशेष परिस्थितियों को छोड़कर रात में सुरक्षा की दृष्टि से नाव संचालन की अनुमति नहीं थी.
दिल्ली से प्रयागराज तक यमुना नदी में विशालकाय तीन मंजिला नाव चलती थीं. आगरा से नावों के जरिए हाथी-घोड़ों के साथ यात्रियों और व्यापारियों के सामान को ढोया जाता था.
अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल ने 'आइन-ए-अकबरी' में मुगलों द्वारा नौसेना विभाग नवाडा बनाए जाने की पूरी जानकारी दी है.